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________________ जैन श्रमणियों का बहद इतिहास 6.2.1.38 श्री चारित्रप्रभाजी (संवत् 2025 से वर्तमान) आपका जन्म बगडुन्दा निवासी कन्हैयालालजी छाजेड़ की धर्मपत्नी हंसादेवीजी की कुक्षि से सं. 2005 में हुआ। सं. 2025 फाल्गुन शुक्ला 5 को नाथद्वारा में आपने महासती श्री कुसुमवतीजी के पास दीक्षा ग्रहण की। आपको हिन्दी, संस्कृत, प्राकृत भाषाओं का उच्चस्तरीय ज्ञान है, हिन्दी में साहित्यरत्न एवं पाथर्डी बोर्ड से जैन सिद्धान्ताचार्य किया। आप द्वारा लिखित एवं संकलित पुस्तकें-चारित्र सौरभ (प्रवचन), कुसुम चारित्र, स्वाध्याय माला, नित्य स्मरण माला, चारित्र ज्योति (भजन) आदि हैं। आपने अलवर में 'कुसुम सिलाई बुनाई केन्द्र, चांदनी चौंक दिल्ली में महिला मंडल, अमीनगर सराय में धार्मिक पाठशाला' दोघट में 'जैन वीर बाल संघ' कांधला में जैन वीर बालिका संघ आदि अनेक जन-मंगलकारी कार्य किये। आपकी दस शिष्याएँ हैं उनमें मेघाजी, महिमाजी, प्रज्ञाजी और आस्थाजी का परिचय उपलब्ध नहीं हुआ शेष का परिचय तालिका में अंकित है। 6.2.1.39 डॉ. श्री दिव्यप्रभाजी (सं. 2030 से वर्तमान) __आपका जन्म उदयपुर निवासी श्री कन्हैयालालजी सियाल की धर्मपत्नी चौथबाई की कुक्षि से सं. 2014 मृगशिर शु. 10 को हुआ। आप की कुसमवती जी की ममेरी (मामा की) बहिन हैं, उन्हीं के पास सं. 2030 कार्तिक शु. 13 के दिन अजमेर में उपाध्याय श्री पुष्करमुनिजी महाराज के मुखारविन्द से दीक्षा ग्रहण की। आपने संस्कृत में एम. ए., हिन्दी साहित्य सम्मेलन से साहित्यरत्न राज. वि. वि. से जैन दर्शन शास्त्री तथा दिल्ली संस्थान से जैनदर्शन आचार्य उत्तीर्ण की। आचार्य श्री सिद्धर्षि के 'उपमिति भवप्रपंचकथा' पर शोध प्रबन्ध लिखकर जयपुर वि. वि. से पी. एच.डी. की उपाधि प्राप्त की। आपने रत्नाकर पच्चीसी का हिन्दी अनुवाद एवं कुसुम अभिनन्दन ग्रन्थ का लेखन एवं सम्पादन भी किया है। आपने राजस्थान, उत्तर प्रदेश, जम्मू कश्मीर तक धर्म प्रचार किया है। 6.2.1.40 डॉ. श्री दर्शनप्रभाजी (सं. 2032) आप विदुषी साध्वी हैं आपने 'आचार्य हरिभद्र और उनका साहित्य' विषय पर जयपुर से पी. एच. डी. की उपाधि ली है। इसके अतिरिक्त प्रयाग से 'साहित्यरत्न' वर्धा से राष्ट्रभाषा रत्न, अमदाबाद से 'दर्शनाचार्य' एवं पाथर्डी बोर्ड से 'जैन सिद्धान्ताचार्य' की परीक्षाएँ भी दी हैं। तथा संस्कृत में एम. ए. भी किया है। आप दिल्ली चांदनी चौंक निवासी श्री रतनलालजी लोढ़ा की कन्या हैं। श्रमणसंघीय उपप्रवर्तक श्री नरेशमुनि जी आपके लघु भ्राता हैं। कई वर्ष वैराग्य अवस्था में रहने के पश्चात् ब्यावर (राज.) में उपाध्याय श्री पुष्करमुनि जी महाराज के श्रीमुख से सं. 2032 में दीक्षा अंगीकार कर आप श्री चारित्रप्रभाजी की शिष्या बनीं। 6.2.1.41 श्री रूचिकाजी (सं. 2037) आपका जन्म जम्मू नगर निवासी मनीरामजी आनन्द की धर्मपत्नी राजदेवी की कुक्षि से सं. 2016 श्रावण शुक्ला षष्ठी को हुआ। आपकी दीक्षा सं. 2037 कांधला में श्री चारित्रप्रभाजी के पास हुई। आपने एम. ए., बी. एड. तक व्यावहारिक शिक्षण तथा जैनागम, स्तोक आदि का भी अध्ययन किया है, आप जैन सिद्धान्त परीक्षा उत्तीर्ण हैं। आप मधुर गायिका हैं। 542 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001693
Book TitleJain Dharma ki Shramaniyo ka Bruhad Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijay Sadhvi Arya
PublisherBharatiya Vidya Pratishthan
Publication Year2007
Total Pages1076
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size24 MB
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