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________________ स्थानकवासी परम्परा की श्रमणियाँ उदयपुर में ( 3 ) श्री वल्लभकुंवरजी- जन्म उदयपुर बाफना परिवार में एवं विवाह वहीं गेलड़ा परिवार में हुआ, आप आगमज्ञाता थीं। आपकी एक शिष्या गुलाबकुंवर जी थीं। ( 4 ) श्री सज्जनकुंवरजी- जन्म उदयपुर के बाफना परिवार में और पाणिग्रहण दूगड़ परिवार में हुआ, आपकी शिष्या श्री मोहनकुंवरजी थीं, आपका स्वर्गवास उदयपुर में हुआ ( 5 ) छोटे राजकुंवरजी- उदयपुर के माहेश्वरी परिवार की कन्या थीं। ( 6 ) श्री देवकुंवरजीकर्णपुरा ग्राम की पोरवालवंश की कन्या थीं। ( 7 ) श्री गेंदकुंवरजी- भुआना के पगारिया परिवार की कन्या थीं, चंदेसरा के बोकड़िया परिवार में विवाह हुआ, ये सेवापरायणा थीं। सं. 2010 ब्यावर में स्वर्गवास हुआ। 6.2.1.25 श्री लहरकंवरजी (सं. 1981-2026 ) नांदेशमा निवासी सूरजमलजी सिंघवी की धर्मपत्नी फूलकुंवरजी की कुक्षि से आपका जन्म हुआ तथा ढोल निवासी गैंगरायजी ढालावत के साथ आपका विवाह हुआ, पति के देहावसान के पश्चात् श्री लाभकुंवरजी के पास संवत् 1981 ज्येष्ठ शुक्ला 12 के दिन नांदेशमा में आपने दीक्षा ग्रहण करली। आप मिलनसार थीं, आपकी शिष्या श्री खमानकुंवर जी थीं। संवत् 2006 माघ कृष्णा अष्टमी को संथारे के साथ सायरा में आप स्वर्गवासिनी हुईं। 6.2.1.26 श्री प्रेमकुंवरजी (-स्वर्ग. सं. 1994 ) आपका जन्म गोगुंदा में और विवाह उदयपुर में हुआ। पति के देहावसान के पश्चात् महासती फूलकुंवरजी के पास आप दीक्षित हुईं। आप विनीत सरल एवं क्षमाशील थीं, संवत् 1994 उदयपुर में आपका स्वर्गवास हुआ। आपकी एक शिष्या पानकुंवरजी थीं, उनका स्वर्गवास पौष मास सं. 2024 को गोगुंदा में हुआ । 6.2.1.27 श्री मोहनकुंवरजी आपका जन्म उदयपुर राज्य के 'वाटी' ग्राम में हुआ एवं विवाह 'मोलेरा' ग्राम में हुआ था। महासती फूलकुंवरजी के पास आप दीक्षित हुईं आपका स्तोक ज्ञान विस्तृत था । 6.2.1.28 श्री सौभाग्यकुंवरजी 2027) आपका जन्म बड़ी सादड़ी के नागोरी परिवार में हुआ, बड़ी सादड़ी के ही प्रतापमलजी मेहता के साथ आपका विवाह हुआ। आपके एक पुत्र भी हुआ। महासती फूलकुंवर जी के उपदेश से प्रभावित होकर उनके ही पास दीक्षा ग्रहण की। आपकी प्रकृति भद्र थी, संवत् 2027 आषाढ़ शुक्ला 13 को संथारे के साथ गोगुन्दा में आपका स्वर्गवास हुआ। 6.2.1.29 श्री शम्भूकुंवरजी (सं. 1982-2023 ) आपका जन्म बागपुरा निवासी गंगराजजी धर्मावत की धर्मपत्नी नाथीबाई की कुक्षि से संवत् 1958 में हुआ था। खाखड़ निवासी अनोपचंदजी बनोरिया के सुपुत्र धनराजजी के साथ आपका विवाह हुआ। आपको दो पुत्रियां हुईं। पति की मृत्यु के पश्चात् अपनी लघुपुत्री शीलकुंवर के साथ संवत् 1982 फाल्गुन शुक्ला द्वितीय को खाखड़ में श्री धूलकुंवरजी के पास दीक्षा ग्रहण की। आपको थोकड़े और साहित्य का अच्छा ज्ञान था, संवत् 2023 आषाढ़ कृष्णा 13 को गोगूंदा में आपका संथारा सहित स्वर्गवास हुआ। Jain Education International 539 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001693
Book TitleJain Dharma ki Shramaniyo ka Bruhad Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijay Sadhvi Arya
PublisherBharatiya Vidya Pratishthan
Publication Year2007
Total Pages1076
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size24 MB
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