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________________ जैन श्रमणियों का बृहद इतिहास 6.2.1.18 श्री लहरकुंवरजी (-स्वर्ग. सं. 2007) आपका जन्म एवं विवाह उदयपुर राज्य के सलौदा ग्राम में हुआ, लघुवय में पति का देहान्त हो जाने के कारण आपने महासती आनन्दकुंवरजी के पास दीक्षा ग्रहण की। आपको आगम-साहित्य का गहन ज्ञान था। आपने शास्त्रार्थ कर विजय पताका भी फहराई। आपकी वाणी में मीठास और व्यवहार सरल था। संवत् 2007 के यशवन्तगढ़ चातुर्मास में आपका स्वर्गवास हुआ। आपकी दो शिष्याएँ हुईं-श्री सज्जनकुंवरजी श्री कंचनकुंवरजी। 6.2.1.19 श्री सज्जनकुंवरजी (सं. 1976-2030) आपका जन्म तिरपाल ग्राम के बांबोरी परिवार में भेरूलालजी की पत्नी रंगूबाई की कुक्षि से हुआ। कमोल निवासी ताराचन्द्रजी जोशी के साथ आपका विवाह हुआ। पतिवियोग के पश्चात् आपने संवत् 1976 में श्री आनन्दकुंवरजी के पास दीक्षा अंगीकार की। संवत् 2030 आसोज पूर्णिमा को जशवन्तगढ़ में आपका स्वर्गवास हुआ। आपकी शिष्या श्री कौशल्याजी हैं। 6.2.1.20 श्री कंचनकुंवरजी (सं. 1976 के लगभग) आपका जन्म कमोलग्राम के दोशी परिवार में तथा विवाह पदराड़ा में हुआ। पतिवियोग के पश्चात् श्री लहरकंवरजी के पास दीक्षा ग्रहण की। नांदेशमा ग्राम में संथारे के साथ आपका स्वर्गवास हुआ। आपकी शिष्या श्री वल्लभकुंवरजी सेवाभाविनी साध्वी थीं। 6.2.1.21 श्री सूरजकुंवरजी आपकी जन्मस्थली उदयपुर और पाणिग्रहण साडोल (मेवाड़) के हनोत परिवार में हुआ। 6.2.1.22 श्री फूलकंवरजी आपकी जन्मस्थली भी उदयपुर थी, आंचलिया परिवार में आपका पाणिग्रहण हुआ। अन्य जानकारी उपलब्ध नहीं है। 6.2.1.23 श्री हुल्लासकुंवरजी ___ आपका जन्म उदयपुर में एवं विवाह भी उदयपुर के हरखावत परिवार में हुआ था, आपके सदुपदेश से प्रभावित होकर पाँच शिष्याएँ हुईं-श्री देवकुंवरजी, श्री प्यारकुंवरजी, श्री पद्मकुंवरजी, श्री सौभाग्यकुंवरजी, श्री चतरकुंवरजी। श्री पद्मकुंवरजी की श्री कैलाशकुंवरजी शिष्या थीं। श्री सौभाग्यकुंवरजी उदयपुर निवासी मोडीलालजी खोखावत व रूपाबाई की कन्या थीं, ये मधुर स्वभावी थीं, इनकी शिष्या श्री मोहनकुंवरजी थीं। 6.2.1.24 श्री हुकुमकुंवरजी आप श्री रायकुंवरजी की चतुर्थ शिष्या थीं। आपकी 7 शिष्याएँ थीं- (1) श्री भूरकुंवरजी- जन्म-उदयपुर जिले के कविता ग्राम में हुआ, 75 वर्ष की आयु में देहावसान हुआ, इनकी एक शिष्या प्रतापकुंवरजी भद्रप्रकृति की थीं, 70 वर्ष की उम्र में वे स्वर्गवासिनी हुईं। (2) श्री रूपकुंवरजी- जन्म देवास (मेवाड़) में व स्वर्गवास 538 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001693
Book TitleJain Dharma ki Shramaniyo ka Bruhad Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijay Sadhvi Arya
PublisherBharatiya Vidya Pratishthan
Publication Year2007
Total Pages1076
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size24 MB
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