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________________ श्वेताम्बर-परम्परा की श्रमणियाँ 5.8.29 श्री चंदनबाला गणिनी (16वीं सदी) श्रेष्ठी सोलाक की लक्षणा पत्नी से 6 संतान पैदा हुई थीं-उदय, चंद्र, चांदाक, रत्न, वाल्हाकदेवी और घाल्हीदेवी। चंद्र ने दीक्षा ली वे उदयचन्द्रसूरि के नाम से प्रख्यात हुए। बाल्हाकदेवी का पुत्र आचार्य ललितकीर्ति बना। चांदाक के पौत्र एवं पौत्री ने दीक्षा ली, वे पंन्यास धनकुमारगणि एवं चन्दनबाला गणिनी के रूप में प्रसिद्ध हुए।614 5.8.30 प्रवर्तिनी श्री अचललक्ष्मी (16वीं सदी) श्री प्रतिष्ठालक्ष्मी महत्तरा साध्वी की शिष्या अचललक्ष्मी के लिये पं. विजयमूर्तिगणि ने 'तेतलीमंत्रीरास' (रचना संवत् 1595) की प्रतिलिपि करके दिया। प्रति विजय नेमीश्वर भंडार, खंभात में है।615 5.8.31 साध्वी श्री इंद्राणी (16वीं सदी) अंचलगच्छ के वाचक लाभमंडन रचित "धनसार पंचशील रास" (संवत् 1583) की प्रति साध्वी इंद्राणी के लिये दी गई, यह लींबड़ी भंडार में है।616 5.8.32 साध्वी श्री जयश्री (संवत् 1601) बृहद्तपागच्छ के भट्टारक श्री धर्मरत्नसूरि के शिष्य श्री सौभाग्यमंडनगणि ने साध्वी जयश्री के पठनार्थ संवत् 1601 कार्तिक कृ. 3 गुरूवार को 'श्री बलभ्रद यशोभद्र प्रबंध' लिखकर दिया। यह प्रति आचार्य विजयनीतिसूरि ज्ञान भंडार खंभात में है।617 5.8.33 आर्या श्री मूली (1609) इनका सूत्रकृतांग सूत्र (द्वि. श्रु.) सटिप्पण मरूगुर्जर भाषा में प्रतिलिपि किया हुआ बी. एल. इन्स्टीट्यूट दिल्ली (परि. 2627) में संग्रहित है। आर्या मूली का ही 'कर्मग्रन्थ षष्ठ का बालावबोध' जो मरूगुर्जर भाषा का है, वह प्रतिलिपि किया हुआ बी. एल इन्स्टीट्यूट (परि. 4469) में है। प्रतिलिपि का समय संवत् 1609 उल्लिखित है। 5.8.34 गणिनी श्री रत्नशोभा (संवत् 1610) पूर्णिमागच्छ के श्री धर्मदेवसूरि का 'अजापुत्र रास' संवत् 1610 चै. शु. 11 बुधवार को गणिनी विजयशोभा की शिष्या गणिनी रत्नशोभा के पठनार्थ लिखे जाने का उल्लेख है। इसकी प्रति विजयनेमिसूरीश्वर ज्ञान मंदिर खंभात (नं. 3341) में है।618 614. वही, पृ. 14 615. जै. ग. क. भाग 1, प. 261 616. जै. गु. क. भाग 1, पृ. 280 617. श्री प्रशस्ति-संग्रह, प्रशस्ति 362, पृ. 99 618. जै. गु. क. भाग 1, पृ. 206 493 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001693
Book TitleJain Dharma ki Shramaniyo ka Bruhad Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijay Sadhvi Arya
PublisherBharatiya Vidya Pratishthan
Publication Year2007
Total Pages1076
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size24 MB
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