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________________ श्वेताम्बर - परम्परा की श्रमणियाँ 5.8.19 श्री विनयचूलागणिनी ( संवत् 1513 ) आप श्री हेमरत्नसूरि की धर्मपरायणा एवं शास्त्रज्ञा विदुषी साध्वी थीं। आपने संवत् 1513 में 'श्री हेमरत्न सूरि गुरू फागु' नाम की 11 कड़ी में काव्य रचना की, उसमें हेमरत्नसूरि का परिचय दिया गया है। काव्य में विनय चूला गणिनी की प्रशस्ति होने से ऐसा लगता है कि विनयचूला इसकी कर्त्ता न होकर उसके आग्रह से यह रचना 22 गाथा में रची हो, अंत में लिखा भी है-' इति श्री हेमरत्नसूरि गुरू फागु विदुषी विनयचूलागणिनिर्बंधेन कृतम्।' श्री अभय जैन ग्रंथालय बीकानेर में इसकी हस्तप्रति मौजुद है 1604 5. 8.20 श्री महीमलक्ष्मी गणिनी ( संवत् 1514 ) संवत् 1514 में साध्वी महीमलक्ष्मी ने 'पिंडविशुद्धि दीपिका की टीका' (रचना संवत् 1295, उदयसिंहसूरि कृत संस्कृत टीका) की प्रतिलिपि की । यह प्रति बी. एल. इन्स्टीट्यूट वल्लभ स्मारक, दिल्ली (परिग्रहण संख्या 3066) में है। 5. 8.21 गणिनी श्री सुमतिलब्धि ( संवत् 1517 ) संवत् 1517 में श्री भावराजगणि की 'उत्तमकुमार चरित्र' की प्रतिलिपि कर श्रीपत्तन नगर में गणिनी सुमतिलब्धि को पठनार्थ प्रदान की। यह प्रति श्री जैन विद्याशाला ज्ञानभंडार अमदाबाद में है 1605 5.8.22 श्री मतिकला साध्वी ( संवत् 1519 ) संवत् 1519 फाल्गुन शु. 11 को जिनपद्मसूरिरचित 'नेमिनाथ फागु' मतिकला साध्वी के लिये आशापल्ली में लिपिकृत किया गया। 606 5. 8. 23 श्री सहजलब्धि गणिनी ( संवत् 1530 ) संवत् 1530 मार्गशीर्ष शुक्ला सोमवार को श्री लक्ष्मीसुंदरगणिनी की शिष्या सहजलब्धिगणिनी द्वारा 'आवश्यक निर्युक्ति' की प्रतिलिपि करने का उल्लेख है। यह प्रति संघवी ज्ञान भंडार पाटण में है 1607 5.8.24 साध्वी श्री पद्मश्रीजी ( संवत् 1540 ) इनके गुरू व गच्छ का नाम अज्ञात है । नेमिचरित्र के आधार से आप द्वारा रचित 'चारूदत्त चरित्र' की प्रति संवत् 1626 की उल्लिखित है । अन्यत्र इस रचना का समय संवत् 1540 के लगभग बताया है। 608 इसकी भाषा प्राचीन गुजराती है व पद्य संख्या 254 है। इसमें प्रायः चौदह छंदों का प्रयोग हुआ है, इससे ज्ञात होता है कि आप 604. पूर्वोक्त, हिंदी जैन साहित्य का इतिहास, भाग-2 पृ. 495-96 605 श्री प्रशस्ति संग्रह, पृ. 22, प्रशस्ति 95 606. जै. गु. क. भाग 1, पृ. 17 607. प्रशस्ति संग्रह, प्रशस्ति 143, पृ. 33 608. हिं. जै. सा. इति. भाग 2, पृ. 145 Jain Education International 491 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001693
Book TitleJain Dharma ki Shramaniyo ka Bruhad Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijay Sadhvi Arya
PublisherBharatiya Vidya Pratishthan
Publication Year2007
Total Pages1076
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size24 MB
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