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________________ जैन श्रमणियों का बृहद इतिहास 5.8.13 श्री जगमतगणिनी (संवत् 1300) धर्मबिन्दु प्रकरण नामक हरिभद्रसूरि के ग्रन्थ की मुनिचंद्रसूरि द्वारा संवत् 1300 में की गई ताड़पत्रीय वृति में जगमतगणिनी के नाम का उल्लेख मिलता है।598 5.8.14 श्री ललितसुन्दरगणिनी (संवत् 1313) संवत् 1313 चैत्र शु. 8 रविवार महाराजधिराज श्री वीसलदेव कल्याणविजय के राज्य में नियुक्त श्री नागड़ महामात्य ने समस्त संसारी कार्यों को छोड़कर धक्कलनगर में ललितसुंदरीगणिनी से ज्ञानपंचमी पुस्तिका लिखवाई। यह ताड़पत्रीय प्रति संघवी पाडा जैन ज्ञान भंडार पाटण में संख्या 121 पर है।599 5.8.15 श्री विजयलक्ष्मी आदि साध्वियाँ (संवत् 1384) बृहद्गच्छीय श्री वादींद्रदेवसूरि की परंपरा के श्री वयरसेणसूरि ने साध्वी विजयलक्ष्मी, पद्मलक्ष्मी एवं चारित्रलक्ष्मी की अभ्यर्थना पर सभी आचार्य, उपाध्याय एवं प्रमुख साधुओं के वाचनार्थ 'श्री शांतिनाथ चरित्र' संवत् 1384 आसोज शु. 13 सोमवार के दिन लिखा। यह ताड़पत्रीय प्रति संघवी पाडा जैन ज्ञान भंडार पाटण संख्या 108 में है।600 5.8.16 श्री सुंदरीजी (संवत् 1384) आपकी विनंती पर आचार्य वज्रसेनसूरि ने स्वश्रेय एवं परश्रेयार्थ संवत् 1384 आश्विन शुक्ल 1 सोमवार को श्रीमाल नगर में 'शांतिनाथ चरित्र' लिखा था।601 5.8.17 श्री महिमागणिनी (14वीं सदी) "श्री शतकचूर्णि टिप्पनकम्" ग्रंथ की ताड़पत्रीय प्रति में उल्लेख है कि यह प्रति श्री महिमागणिनी के पठनार्थ लिखी गई है। रचनाकार एवं लिपिकार का नाम प्राप्त नहीं हुआ। उक्त प्रति श्री संघवी पाडा जैन ज्ञान भंडार पाटण (संख्या 125) में है।002 5.8.18 श्री राजलब्धिगणिनी (संवत् 1505) 'शत्रुजय महातीर्थ स्तवन वृत्ति सहित' की प्रतिलिपि टीकाकार जयचंद्रसूरि ने संवत् 1505 में राजलब्धि गणिनी हेतु तैयार की।603 इसकी एक प्रति बी. एल. इन्स्टीट्यूट, दिल्ली में है, तथा इसका दूसरा पत्र वहाँ के शोकेश में है। 598. जैसलमेर के प्राचीन जैन ग्रंथ भण्डारों की सूची परिशिष्ट-13, क्रमांक 592 599. अ. म. शाह., श्री प्रशस्ति-संग्रह, पृ. 80 600. श्री प्रशस्ति संग्रह, पृ. 70 601. संपादिका साध्वी विजयश्री, महासती केसरदेवी गौरव ग्रंथ, पृ. 280 602. श्री प्रशस्ति संग्रह, पृ. 81 603. डॉ. शितिकंठ मिश्र, हिंदी जैन साहित्य का इतिहास, भाग-2 पृ. 495-96 490 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001693
Book TitleJain Dharma ki Shramaniyo ka Bruhad Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijay Sadhvi Arya
PublisherBharatiya Vidya Pratishthan
Publication Year2007
Total Pages1076
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size24 MB
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