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5.8.3 गणिनी श्री देवश्री (संवत् 1191 )
संवत् 1191 में राजा सिद्धराज जयसिंह के मंत्री गांगिल के काल में आचार्य महेश्वरसूरि द्वारा रचित 'पुष्पवई कहा' की प्राकृत - अपभ्रंश भाषा में ताड़पत्र पर आलेखित प्रति उक्त साध्वी जी के लिये लिखी गई थी। उसकी फोटो कापी 'पाटण जैन ग्रंथ भंडार' (गा. ओ. सि. नं. 76) में है। 587
5.8.4 श्री परमश्री महत्तरा ( संवत् 1192 )
उपदेशमाला प्रकरण के कर्त्ता धर्मदासगणि है। इस ग्रंथ की शब्दार्थ सह गुजराती भाषा की प्राचीन हस्तलिखित प्रति में ‘परमश्री महत्तरा' एवं 'शांतिवल्लरी गणिनी' का नामोल्लेख हुआ है। गाथा 543 व पत्र संख्या 24 है। इसमें उनके गच्छ आदि का उल्लेख नहीं है। यह प्रति जिनभद्रसूरि कागळ नो हस्त. भंडार, ग्रंथांक 1018 पर संग्रहित है। 588
जैन श्रमणियों का बृहद इतिहास
5.8.5 साध्वी श्री लक्ष्मी (संवत् 1192 )
चैत्यवासी ब्रह्माणगच्छ से संबद्ध 'नवपदप्रकरण' की वि. संवत् 1192 की दाता - प्रशस्ति में साध्वी मीनागणिनी की शिष्या नंदागणिनी उसकी शिष्या 'लक्ष्मी' का नामोल्लेख है। विमल आचार्य के एक श्रावक आंबवीर से 'नवपदलघुवृत्ति' तैयार करवाकर समस्त श्राविकाओं ने ज्ञानपंचमी तप की आराधना की पूर्णाहूति पर साध्वी लक्ष्मीजी को यह प्रति अर्पित की। ताड़पत्र की यह प्रति पाटण जैन ज्ञान भंडार (140) में है 1589
5. 8.6 प्रवर्तिनी श्री मियावई " मृगावती” ( 12वीं सदी)
जैसलमेर में लोंकागच्छीय भंडार की ताड़पत्रीय चार प्रतियों में भगवती सूत्र की प्रति में 'मियावई का उल्लेख है। यह सूत्र अनुमान से विक्रम की 12वीं सदी का है इसका ग्रन्थाग्र 15600 है। पत्र संख्या 422 के अंत में तीन शोभन अति सुंदर हैं। 590
5. 8.7 साध्वी श्री ज्ञानश्री ( 12वीं सदी)
आपने 'न्यायावतार सूत्र' की टीका संस्कृत भाषा में लिखी थी। 'न्यायावतार सूत्र वृत्ति टिप्पणी सह' में वृत्ति कर्त्ता के रूप में सिद्ध साधु का तथा टीकाकर्त्री के रूप में ज्ञानश्री आर्यिका का नाम है। इसकी पत्र संख्या 1 से 137 तक है। जिनभद्रसूरि ताड़पत्रीय ग्रंथ भंडार, जैसलमेर दुर्ग में ग्रंथांक 364 पर यह प्रति सुरक्षित है | 591
5. 8.8 गणिनी श्री अपराश्री (संवत् 1227 )
कुमारपाल राजा के समय राहड़ नामक एक श्रावक ने संवत् 1227 में 'शांतिनाथ चरित्र' की रचना की,
587. ऐतिहासिक लेख संग्रह, पृ. 338
588. मुनि जंबूविजयजी, जैसलमेर प्राचीन ग्रंथ भंडार सूची, परिशिष्ट 13 पृ. 599,608
589. जैन पुस्तक प्रशस्ति संग्रह, पृ. 103
590. जैसलमेर ग्रंथ सूची, परिशिष्ट 13, पृ. 603
591. मुनि जम्बूविजयजी, जैसलमेर, प्राचीन ग्रंथ भंडारों की सूची, पृ. 39
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