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5.3.21.2 महत्तरिका साध्वी विद्याश्रीजी ( संवत् 1934-62 )
भोपावर निवासी शाह देवचंदजी की ये सुपुत्री थीं। विवाह के लगभग तीन वर्ष बाद ही ये विधवा गईं। एकबार इनकी आँखों में असह्य पीड़ा हुई, औषधोपचार से भी आराम नहीं होने पर इन्होंने संकल्प किया कि यदि मेरी नेत्र - पीड़ा शांत हो जायेगी तो मैं दीक्षा ग्रहण करूंगी। इस शुभ संकल्प के एक मास पश्चात् ही ये नेत्र - पीड़ा से मुक्त हो गईं, उसके बाद संवत् 1934 राजगढ़ में अमर श्रीजी के सान्निध्य में दीक्षित हुईं। इनकी योगविद्या में विशेष रूचि थी, अर्धरात्रि में उठकर घंटों पदमासन, उत्कुटासन व अन्यान्य आसनों में कायोत्सर्ग किया करती थीं । त्रिस्तुतिक साध्वी समुदाय में ये 'प्रथम महत्तरिका साध्वी' के रूप में प्रतिष्ठित हुईं। उसके पश्चात् 60 के लगभग विदुषी साध्वियाँ हुईं। श्री मोहनखेड़ा तीर्थ में स्मारक रूप में इनका समाधि मंदिर है 1480
5.3.21.3 प्रवर्तिनी श्री प्रेमश्रीजी ( संवत् 1940-88 )
जन्म संवत् 1951 आश्विन पूर्णिमा को जालोर जिले के कोबा (आहोर ) ग्राम में पिता शाह उमाजी पोरवाल, माता लक्ष्मीबाई, पति भूताजी पोरवाल, वैधव्य के पश्चात् संवत् 1940 अषाढ़ शुक्ला 6 को हरजी में दीक्षा, गुरूणी श्री विद्याश्रीजी, संवत् 1962 खाचरोद में प्रवर्तिनी पद प्राप्ति। मालवा, मारवाड़, गुजरात आदि अनेक क्षेत्रों में विचरण कर तप, जप, उद्यापन, सामायिक, पूजा, प्रभावना के धार्मिक कार्य किये। संवत् 1988 वडनगर में देहविलय हुआ। श्री रायश्रीजी को अपने सर्व अधिकार प्रदान किये। 481
5.3.21.4 श्री मानश्रीजी ( संवत् 1941-90)
जन्म संवत् 1914 भीनमाल (मारवाड़) पिता - उपकेशवंश के वृद्धशाखीय श्रेष्ठी श्री दलीचंदजी बाना, माता नंदाबाई, पति भीनमाल निवासी धूपचंदजी ओसवाल, तीन मास पश्चात् ही पतिवियोग, दीक्षा संवत् 2041 भेसवाडा में। इनकी साधुशीलता, व्याख्यानशैली, अध्ययन प्रीति, क्रिया परायणता और आज्ञाकारिता ने इन्हें शीघ्र ही गुरूजनों का प्रियपात्र बना दिया, इन्होंने अनेक तीर्थों की यात्रा व ग्रामानुग्राम विहार कर शासन की खूब प्रभावना की, संवत् 1990 आहोर में एक मास के अनशन के साथ इस नश्वर देह का परित्याग किया। इनकी भावश्रीजी, कमलश्रीजी, पुण्यश्रीजी, ललित श्रीजी, मनोहर श्रीजी, विनयश्रीजी, सुमताश्रीजी, सोहन श्रीजी, गुलाब श्रीजी आदि 40 से अधिक शिष्याएँ थीं, जिनमें कई प्रभावशाली साध्वी के रूप में विख्यात है । 482
जैन श्रमणियों का बृहद इतिहास
5.3.21.5 श्री गुलाब श्रीजी (सं. 1967 - स्वर्गस्थ )
इनका जन्म संवत् 1953 कार्तिक शुक्ला 13 रतलाम में हुआ संवत् 1966 में पतिदेव का अवसान होने पर संवत् 1967 आश्विन शुक्ला 10 को साध्वी मानश्रीजी के पास दीक्षा ग्रहण की 14833
480. वही, पृ. 71
481. जिनशासन नां श्रमणीरत्नो, पृ. 765-66
482. वही, पृ. 766-67
483. वही, पृ. 767
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