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________________ जैन श्रमणियों का बृहद इतिहास निकट ट्रक-दुर्घटना से स्वर्गवास हुआ। श्री पवित्रलताश्रीजी की 3 शिष्याएँ-रत्नत्रयाश्रीजी, सौम्यरसाश्रीजी, जयनंदिताश्रीजी, प्रशिष्याएँ-पुष्परत्नाश्रीजी, ऋजुदर्शिताश्रीजी।472 5.3.16 श्रीमद् विजयहिमाचलसूरीश्वरजी का श्रमणी-समुदाय : वर्तमान में इस समुदाय के प्रमुख संघ नायक मेवाड़ दीपक पंन्यास श्री रत्नाकर विजयजी हैं, उनकी आज्ञा में विचरण करने वाली 131 श्रमणियाँ हैं, उन में से उपलब्ध नामावली इस प्रकार है- श्री आनन्दश्रीजी, श्री गिरिमाश्रीजी, श्री सूर्यप्रभाश्रीजी, श्री चंपक श्रीजी, श्री शांताश्रीजी, श्री बालाश्रीजी, श्री सुरेखाश्रीजी, श्री रंजनश्रीजी, श्री शांतिश्रीजी, श्री पुष्पाश्रीजी, श्री मदनरेखाश्रीजी, श्री दर्शनश्रीजी, श्री भक्तिश्रीजी, श्री अमृतकलाश्रीजी, श्रीपुण्योदयाश्रीजी, श्री सूर्यप्रभाश्रीजी, श्री वल्लभप्रभाश्रीजी, श्री सुवर्णप्रभाश्रीजी,273 श्री मनोहर श्रीजी, श्री सुगुणाश्रीजी, श्री मोहनश्रीजी, श्री सत्यप्रभाश्रीजी, श्री हेमलताश्रीजी, श्री कल्पलताश्रीजी, श्री कमलप्रभाश्रीजी, श्री जेष्ठप्रभाश्रीजी, श्री सुरेखाश्रीजी, श्री संजयशीलाश्रीजी, श्री रत्नरेखाश्रीजी, श्री सुपद्मेन्द्रश्रीजी, श्री उपेन्द्रयशाश्रीजी-74 5.3.17 आचार्य श्री विजयशांतिचन्द्रसूरीश्वरजी का श्रमणी-समुदाय : इस समुदाय में वर्तमान 148 साध्वियाँ हैं, जिनमें कुछ आचार्य सोमसुन्दरसूरिजी की आज्ञानुवर्तिनी हैं, अधि कांश साध्वियाँ आचार्य जिनचन्द्रसूरि की आज्ञा में विचरण कर रही हैं, उनमें प्रमुखा श्रमणियों के नाम इस प्रकार हैं- प्रवर्तिनी श्री स्नेहलताश्रीजी, श्री प्रेमलताश्रीजी, श्री सूर्ययशाश्रीजी, श्री सूर्यकलाश्रीजी, श्री सुवर्णकलाश्रीजी, श्री सुप्रज्ञाश्रीजी, श्री अमितयशाश्रीजी, श्री रत्नमालाश्रीजी, श्री सत्वगुणाश्रीजी, श्री विवेकपूर्णाश्रीजी, श्री भव्यरत्नाश्रीजी, श्री सुरक्षिताश्रीजी, श्री सुप्रज्ञाश्रीजी, श्री स्वर्णप्रभाश्रीजी, श्री सुरलताश्रीजी, श्री मोक्षज्ञाश्रीजी, श्री पुनितयशाश्रीजी। श्री शांतिचन्द्रसूरिजी की समुदाय में ही वर्तमान आचार्य विजय राजेन्द्रसूरिजी की आज्ञानुवर्तिनी 152 साध्वियों में प्रमुख साध्वियों की नामावली इस प्रकार है- श्री सोहनश्रीजी, श्री सूर्यप्रभाश्रीजी, श्री प्रभंजनाश्रीजी, श्री विनयपूर्णा श्रीजी. श्री राजमतिश्रीजी. श्री संवेगगणाश्रीजी. श्री सजेष्ठाश्रीजी. शरदपर्णाश्री, श्री शासनरसाश्री. श्री शमपूर्णाश्रीजी, श्री मदनरेखाश्रीजी, श्री विश्वगुणाश्रीजी, श्री इन्दुकलाश्रीजी, श्री शीलरत्नाश्रीजी, श्री पीयूषणपूर्णाश्रीजी, श्री तत्त्वदर्शनाश्रीजी, श्री सुव्रताश्रीजी, श्री सद्गुणाश्रीजी, श्री आगमरसाश्रीजी, श्री विरागरसाश्रीजी, श्री राजरत्नाश्रीजी आदि। 75 5.3.18 गच्छाधिपति आचार्य मोहनलालजी महाराज का श्रमणी-समुदाय मुंबई नगरी में 109 वर्ष पूर्व सर्वप्रथम प्रवेशकर्ता, मुंबई नगरोद्धारक आचार्य श्री मोहनलालजी महाराज इस समुदाय के आद्य संस्थापक कहे जाते हैं, वर्तमान में आचार्य श्री कीर्तिसेनसूरिजी की आज्ञा में 32 साध्वियों का समुदाय विभिन्न प्रान्तों में शासन की प्रभावना करता हुआ विचरण कर रहा है, इसमें अतीत व वर्तमान की कुछ प्रमुख साध्वियों के ही नामों का उल्लेख प्राप्त हुआ है-श्री जंबूश्रीजी, श्री विजयश्रीजी, श्री कमल श्रीजी, श्री कविन्द्रश्रीजी, श्री खान्तिश्रीजी, श्री सज्जनश्रीजी, श्री प्रेमलताश्रीजी, श्री सुमंगलाश्रीजी, श्री जयंतीश्रीजी, श्रीसंयमश्रीजी, 472. वही, पृ. 761-62 473. समग्र जैन चातुर्मास सूची, 1989, भाग 15, पृ. 173 474. वही, 2004 ई., भाग 14, पृ. 249 475. समग्र जैन चातुर्मास सूची 2004, भाग 16, 17, पृ. 254-57 476. (क) समग्र जैन चातुर्मास सूची 1989, पृ. 162, (ख) वही, 2004, पृ. 258 450 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001693
Book TitleJain Dharma ki Shramaniyo ka Bruhad Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijay Sadhvi Arya
PublisherBharatiya Vidya Pratishthan
Publication Year2007
Total Pages1076
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size24 MB
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