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________________ जैन श्रमणियों का बृहद इतिहास 5.3.11.17 श्री विनयप्रभाश्रीजी (संवत् 2001-42) जन्म संवत् 1970 अमदाबाद, पिता भायालाल शाह, माता शकरीबहन, दीक्षा संवत् 2001 काल्गुन कृष्णा 6 अमदाबाद, श्री रंजनश्रीजी गुरूणी, हिंदी, संस्कृत, प्राकृत का अध्ययन, तप-अठाई, वर्धमान तप ओली, आयंबिल छ? अट्टम, कई वर्षों से घंटों ध्यान-साधना, गुजरात, सौराष्ट्र महाराष्ट्र में विचरण, श्री सुव्रतप्रभाश्रीजी, स्वयंप्रभाश्रीजी शिष्याएँ, संवत् 2042 अमदाबाद में स्वर्गवास हुआ।302 5.3.11.18 श्री सूर्यप्रभाश्रीजी (संवत् 2002 से वर्तमान) जन्म संवत् 1977 अमदाबाद, पिता परशोत्तमदास, माता मोतीबहन, दीक्षा संवत् 2002 वैशाख कृष्णा 11, श्री महेन्द्रश्रीजी गुरूणी, क्षेत्रसमास, सिंदुरप्रकरण, तत्त्वार्थ, बृहत् संग्रहणी आदि अध्ययन, 509 आयंबिल दो वर्षीतप, छमासी, तीनमासी, चारमासी, डेढ़मासी, 6, 7, 8, 5 उपवास, मासक्षमण, 108 अट्ठम तप की आराधना की।403 5.3.11.19 श्री रत्नप्रभाश्रीजी (संवत् 2002 से वर्तमान) बनासकांठा जिले में सांतलपुर ग्राम में जन्म, पिता नागरदास सिंघवी माता समरतबहन, संवत् 2002 फाल्गुन कृष्णा 11 पालीताणा में दीक्षा, श्री महिमाश्रीजी गुरूणी, 7, 8, 9, 10 उपवास, बीस स्थानक, तिथि आराधना, वर्धमान ओली चालु। कच्छ, वागड़, राजस्थान, मेवाड़, सौराष्ट्र आदि में विचरण किया।404 5.3.11.20 श्री कनकप्रभाश्रीजी (संवत् 2003 से वर्तमान) जन्म संवत् 1984, माता माणेकबहन पिता लालभाई की दसवीं संतान, अमदाबाद के श्री रजनीकान्त के साथ परिणय संबंध से जुड़ी, किंतु संसार की आसक्ति को तोड़ने का दृढ़-निश्चय लेकर पति आज्ञा से संवत् 2003 वैशाख कृष्णा 11 को संयम स्वीकार किया। ज्ञानाभ्यास में संस्कृत, प्राकृत, तर्क संग्रह, स्याद्वादमंजरी, नयचंद्रसार भाष्य, हेमलघु प्रक्रिया आदि उच्चकोटि के ग्रंथों का अध्ययन किया। तप में नवपद, बीस स्थानक, वर्षीतप, 16, 13, 8 उपवास, वर्धमान तप की 108 ओली, 500 आयंबिल आदि विविध तप किया। विहारचर्या- कच्छ, सौराष्ट्र, राजस्थान, मद्रास, मेवाड़, मालवा, लक्ष्मणी आदि क्षेत्रा में रही। सिकन्दराबाद, मलाड (मुंबई) में वर्धमान तप आयंबिल शाला, कायमी आयम्बिल तप, धार्मिक पाठशाला सामायिक मंडल, महिला मंडल आदि प्रारंभ करवाये, कई स्थानों पर ज्ञान शिविरों का सफल आयोजन किया। पद्मप्रभाश्री, हर्षपूर्णाश्री, विनीतयशाश्री, चारूशीलाश्री, वसंतप्रभाश्री, लक्षगुणाश्री, राजयशाश्री, मृदुरसाश्री, विरागमालाश्री, सिद्धान्तगुणाश्री आदि इनकी विदुषी शिष्याएँ हैं।105 5.3.11.21 श्री सुव्रतप्रभाश्रीजी (संवत् 2004-स्वस्थ) ___संवत् 1975 बोरू में जन्म, पिता डाह्याभाई माता नरभीबहन, दीक्षा संवत् 2004 वैशाख मास अमदाबाद में, 402. वही, पृ. 647 403. वही, पृ. 648 404. वही, पृ. 648 405. वही, पृ. 639-41 432 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001693
Book TitleJain Dharma ki Shramaniyo ka Bruhad Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijay Sadhvi Arya
PublisherBharatiya Vidya Pratishthan
Publication Year2007
Total Pages1076
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size24 MB
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