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________________ श्वेताम्बर परम्परा की श्रमणियाँ लं गल्गुन कृष्णा 10 के दिन अपनी ज्येष्ठा भगिनी महिमाश्रीजी के पास राधनपुर में ही दीक्षा अंगीकार की। ये अति तपस्विनी महासती हैं, भगवान महावीर के 229 छ8 तथा 12 अट्ठम, 6 मासी, 4, 3, 2 और डेढ मासी तप, मासक्षमण 17, 16, 15, 11, 10, 9 आदि उपवास, समवसरण, सिंहासन, छः अठाई, सिद्धितप, चत्तारि अट्ट, क्षीरसमुद्र, वर्षीतप, 20 स्थानक, 500 आयंबिल, वर्धमान ओली 50, तेरह काठिया, शत्रुजय व गिरनार की 99 यात्रा तप सहित, पार्श्वनाथ भगवान के 108 अट्ठम आदि अनेक तपस्याएँ जाप आदि किये।58 चातुर्मास सूची में नाम नहीं होने से प्रतीत होता है कि ये स्वर्गवासिनी हो गई हैं। 5.3.7.8 श्री नवलश्रीजी का शिष्या-परिवार क्रम साध्वी नाम जन्म संवत् स्थान दीक्षा संवत् तिथि दीक्षा स्थान गुरूणी नाम 1. श्री ज्ञानश्रीजी 1974 तखतगढ़ 1999 मा. शु. 13 तखतगढ़ श्री नवलश्रीजी 2. श्री गुणप्रभाश्रीजी 1988 खिवाणदी 2018 ज्ये. शु. 13 बादनवाडी श्री ज्ञानश्रीजी आणंदश्रीजी 2002 जालोर 2025 म. कृ. 1 हरजी गुणप्रभाश्रीजी 4. कुसुमप्रभाश्रीजी 2010 चोराऊ 2029 मा. शु. 11 उमेदाबाद गुणप्रभाश्रीजी 5. किरणमालाश्रीजी 1996 जालोर ___2030 ज्ये. कृ. 7 खीमेल ज्ञानश्रीजी 6. चंद्रकलाश्रीजी 2017 जालोर 2030 ज्ये. शु. 13 लुणावा किरणमालाश्रीजी जयप्रज्ञाश्रीजी 1998 तखतगढ़ 2031 ज्ये. शु. - लेटा ज्ञानश्रीजी 8. मुक्तिप्रियाश्रीजी 2013 दयालपुरा 2035 ज्ये. शु. 14 दयालपुरा आनंदश्रीजी 9. नेमिरक्षिताश्रीजी 2020 अमदाबाद 2041 फालना जयप्रज्ञाश्रीजी 10. यत्नदर्शिताश्रीजी लेटा (राज.) 2042 वै. कृ. 7 लेटा चंद्रकलाश्रीजी 11. विनीतदर्शिताश्रीजी 2012 दयालपुरा 2042 ज्ये. कृ.5 दयालपुरा मुक्तिप्रियाश्रीजी 12. चारित्ररत्नाश्रीजी 2023 मद्रास 2043 फा. शु. 3 उमेदाबाद कुसुमप्रभाश्रीजी 13. वीतरागदर्शिताश्रीजी 2001 2043 वै. कृ. 6 गढ़सिवाना चंद्रकलाश्रीजी 14. नंदीपूर्णाश्रीजी 2011 हरजी 2043 ज्ये. कृ. 6 हरजी आनंदश्रीजी 15. मनोदर्शिताश्रीजी 2020 उमेदाबाद 2045 वै. शु. 10 उमेदाबाद मुक्तिप्रियाश्रीजी 16. समर्पितप्रियाश्रीजी 2022 मांडवला 2049 ज्ये. कृ. 7 मांडवला मुक्तिप्रियाश्रीजी 17. सौम्यप्रियाश्रीजी 2026 मांडवला 2049 ज्ये. कृ. 7 मांडवला मुक्तिप्रियाश्रीजी 2021 लेटा 5.3.8 दादाश्री विजयसिद्धिसूरीश्वरजी (बापजी) महाराज का श्रमणी-समुदाय यह समुदाय अत्यंत विशाल एवं श्री मणिविजयजी दादा के समय से प्रवर्तमान है। वर्तमान में इस समुदाय के साध्वियों की संख्या 370 है। पूर्व में भी कई अध्यात्मनिष्ठ, प्रभावशाली साध्वियाँ इस समुदाय में हुई हैं जैसे-श्री चंदनश्रीजी, अशोकश्रीजी, कल्याणश्रीजी, वल्लभश्रीजी, चंपकश्रीजी, ताराश्रीजी, प्रभाश्रीजी, प्रभंजनाश्रीजी, 358. वही, पृ. 519-21 359. वही, पृ. 517 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001693
Book TitleJain Dharma ki Shramaniyo ka Bruhad Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijay Sadhvi Arya
PublisherBharatiya Vidya Pratishthan
Publication Year2007
Total Pages1076
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size24 MB
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