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श्वेताम्बर परम्परा की श्रमणियाँ
अंबाबाई से हुआ। माता के स्वर्गवास के पश्चात् पिताश्री के साथ आपने भी यावज्जीवन चतुर्थ व्रत ग्रहण कर लिया, पश्चात् जड़ावश्रीजी, जयश्रीजी के पास पाटण में दीक्षा अंगीकार की । ज्ञान और अत्कृष्ट आचार का पालन करती हुई आपने साध्वी- समुदाय में एक महान आदर्श उपस्थित किया। आपके पुण्य का ही प्रभाव है कि श्री सौभाग्यश्रीजी, विनयश्रीजी, तिलकश्रीजी आदि आपकी शिष्या - प्रशिष्याओं की वंशावली 600 तक पंहुची है, और आज तक सैंकड़ों साध्वियाँ उत्कृष्ट तपाराधना करने वाली हुई हैं इनमें तिलक श्रीजी का परिवार अति विस्तृत है, विनयश्री जी की शिष्या सुमतिश्री व उनकी शिष्या लावण्यश्रीजी हैं। 248
5.3.1.2 साध्वी तिलक श्रीजी ( संवत् 1954-2009 )
श्री तिलक श्रीजी राधनपुर के सुप्रतिष्ठ श्रेष्ठी दलछाचंद व माता वीजलीबाई के यहाँ समुत्पन्न हुईं। संवत् 1932 में आपका जन्म हुआ । यौवनावस्था में पति से आज्ञा प्राप्त कर संवत् 1954 मृगशिर शुक्ला 10 को शिवश्री जी के पास दीक्षित हुईं। आप दीर्घदृष्टा, अध्यात्मज्ञानी एवं अद्भुत वात्सल्य से सिक्त शांतमूर्ति महासती थीं। कहा जाता है आपकी छत्रछाया में 100-100 साध्वियाँ एक साथ रहती थीं, कोई भी आप से पृथक् रहना नहीं चाहता था। संवत् 2009 अमदाबाद राजनगर में आपका स्वर्गवास हुआ। श्री मणिश्रीजी, श्री हरकोर श्रीजी, भानुश्रीजी,
श्रीजी, मनोहर श्रीजी, धर्मश्रीजी, मंगलश्रीजी, मृगेन्द्रश्रीजी, महोदय श्रीजी, राजेन्द्र श्रीजी, लब्धिश्रीजी, विद्युतश्रीजी, सुमंगलाश्रीजी, मार्दवश्रीजी आदि 14 विदुषी शिष्याओं का परिवार है। इनमें महोदया श्रीजी की मनोज्ञाश्रीजी, सुमंगलश्रीजी की सुव्रताश्री तथा मार्दवश्रीजी की चेलणा व उनकी आर्जव श्रीजी शिष्या हैं। 249 श्री तिलक श्रीजी के परिवार में अनेक श्रमणियाँ दीर्घ तपस्विनी हैं, जैसे 250
श्री धर्मोदया श्रीजी
पूर्णप्रज्ञाश्रीजी
कल्पप्रज्ञाश्रीजी
राजप्रज्ञाश्रीजी
पूर्णदर्शिताश्रीजी
पूर्णनंदिताश्रीजी सुशीलाश्रीजी
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वर्धमान तप की 129 ओली, 600 आयंबिल, सिद्धितप, श्रेणीतप, चत्तारिअट्ठदसदोय, 8, 16, 30 उपवास, 229 छ्ट्ट, पार्श्वनाथ के 108 अट्टम, 3 वर्षीतप नवमासी 9, छमासी 2, समवसरण, सिंहासन, सहस्रकूट तप के 1024 उपवास, 13 काठिया के 13 अट्ठम, नवपद तप ।
500 आयंबिल एकांतर, दो वर्षीतप, वर्धमान ओली चालु
500 आयंबिल, सिद्धितप, श्रेणितप, वर्षीतप, वर्धमान ओली चालु
500 आयंबिल, वर्षीतप श्रेणितप, वर्षीतप, वर्धमान ओली चालु
सिद्धितप, श्रेणीतप, वर्षीतप श्रेणितप, वर्षीतप, वर्धमान ओली चालु
सिद्धितप, वर्धमान ओली चालु
100 ओली संपन्न, 500 आयंबिल 6 अठाई, 229 छट्ट, 16, 30 उपवास, सिद्धितप, वर्षीतप 2, चत्तारिअट्ठदसदोय तप ।
248. श्री नंदलाल देवलुक्, संपा. जिनशासन नां श्रमणीरत्नों, पृ. 162
249. वही, पृ. 163
250. वही, पृ. 238, 253-59
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