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________________ अनुपमाश्रीजी अरूजाश्रीजी अमीवर्षाश्रीजी शीलभद्राश्रीजी सम्यग्गुणाश्रीजी प्रमितगुणाश्रीजी नीलरत्नश्रीजी जैन श्रमणियों का बृहद इतिहास - 100 ओली संपन्न, 700 आयंबिल, 6 अट्ठाई लगातार, सान्तर अठाइयां कई, 229 छट्ट, मासक्षमण, 6, 16, 15 उपवास, सिद्धितप, श्रेणितप, भद्रतप, क्रमशः उपवास बेले, तेले से 3 वर्षीतप। - 100 ओली संपन्न, 500 आयंबिल एकांतर, वर्षीतप। - 100 ओली संपन्न, 500 आयंबिल एकांतर, सिद्धितप, श्रेणितप, दो वर्षीतप, चत्तारि० - मासक्षमण, अट्ठाई 2, वर्षीतप, वर्धमान ओली चालु। 3, 4, 5, 8, 10, 16, 30 उपवास, अक्षयनिधि, 20 स्थानक, नवपद ओली, वर्षीतप, 500 आयंबिल, 27 ओलीपूर्ण, सहस्रकूट, 99 यात्रा दो बार, छट्ठ से सात यात्रा, रत्नपावड़ी-दीपावली के 9-9 छ8 व अट्टम, कर्मसूदन, पंचमी, दशमी, नवकारमंत्र आराधनादि। 2, 3, 4, 8, 16, 30 उपवास, क्षीरसमुद्र, चत्तारि, अट्ठदसदोय वर्षीतप, सिद्धितप, 20 स्थानक, नवपदओली, 30 अट्ठम, चार बार 99 यात्रा, दीपावली, रत्नपावड़ी तप, उपधान, छ8 से 7 यात्रा 7 बार, 52 ओली पूर्ण। 2, 3, 8, 30 उपवास, सिद्धितप, क्षीरसमुद्र, पाँचम दशम ग्यारस, उपधान, नवपद ओली, दीपावली रत्नपावड़ी, छट्ट, 20 स्थानक, वर्धमान तप चालु, वर्षीतप। - नवपद ओली, अठाई, वर्षीतप, सिद्धितप, कषायजय, इन्द्रियजय, शत्रुजय तप, 99 यात्रा, चौविहार छ? से सात यात्रा, सिद्धाचल, 45 आगम तप। 4 से 11, 15, 16, 30 उपवास, 20 स्थानक, दो वर्षीतप (एक छ8 से) नवपद ओली, वर्धमान तप की 28 ओली, ये शतावधानी थीं। - 8, 9, 11, 30 उपवास, वर्षीतप। - वर्षीतप, पंचमी, दशम, बीसस्थानक, 4, 5 उपवास व लाखों का जाप क्षीरसमुद्र, अठाई, छ8 से 7 यात्रा, 99 यात्रा तीन बार, नवपद ओली, वर्धमान तप की 20 ओली, बीस स्थानक एवं जाप आदि। - बीसस्थानक, मासक्षमण, सिद्धितप, चत्तारि अट्ठदसदोय, नवपद, वर्धमान तप। सिद्धितप, 99 यात्रा तीन बार, चत्तारि तप, 16 मासखमण। 100 ओली पूर्ण, 4, 6, 16, 30 उपवास, 50 अट्टम, अठाई-4 क्षीरसमुद्र, समवसरण, सिंहासन, सिद्धितप, वर्षीतप, बीस स्थानक, नवपद ओली एक धान्य से, दीपावली व रत्नपावडी के 9 छट्ठ, दूज, पंचमी, ग्यारस, 99 यात्रा पाँच बार, तलाजा की 99 यात्रा 5 बार, सिद्धाचल, अक्षयनिधि, चत्तारि तप, 150, 250, 500 आयंबिल, कल्याणक तप, नवकारतप. 25 वर्ष से बियासणा। तीर्थयशाश्रीजी मयणाश्रीजी वीरभद्राश्रीजी धर्मोदयाश्रीजी मनोज्ञाश्रीजी मंगलाश्रीजी महोदया श्रीजी निरूपमाश्रीजी Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001693
Book TitleJain Dharma ki Shramaniyo ka Bruhad Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijay Sadhvi Arya
PublisherBharatiya Vidya Pratishthan
Publication Year2007
Total Pages1076
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size24 MB
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