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________________ श्वेताम्बर परम्परा की श्रमणियाँ 5.2.6 महत्तरा उदयचूला आपके जीवन के विषय में विशेष वृत्तान्त उपलब्ध नहीं होता। केवल 'श्रीमति उदयचूला स्वाध्याय' में आपके गुणों का वर्णन किया गया है। आप 'करमादे' की पुत्री थीं। एवं अत्यंत महिमावंत साध्वी थीं। आपकी वाणी अत्यंत मधुर एवं प्रभावशाली थी । युगप्रधान आचार्य श्री लक्ष्मीसागरसूरि ने आपको शिवचूला के पाट पर स्थापित कर 'महत्तरा' पद प्रदान किया था। काव्य में कवि की अनन्य भक्ति इस रूप में व्यक्त होती है- नवि मांगऊ राज नई अमर वास । देज्यो- देज्यो निअ पाय कमलवास ॥ 230 इसमें कुल 19 पद हैं। 5.2.7 रत्नचूला महत्तरा रत्नसिंहसूरि के ही पट्टधर उदयवल्लभसूरि हुए, उनका नाम संवत् 1518 से 1521 तक कुछ प्रतिमा लेखों में 'प्रतिष्ठापक' के रूप में मिलता है, साथ ही इनकी आज्ञानुवर्तिनी दो साध्वियों का भी उल्लेख मिलता है- - रत्नचूला महत्तरा एवं विवेकश्री प्रवर्तिनी |231 विशेष ज्ञातव्य उपलब्ध नहीं है। 5.2.8 श्री भावलक्ष्मी ( संवत् 1508 ) ये पोरवालवंशीय पिता सलाहा एवं माता झबक की सुंदरी नाम की कन्या थी। अपने संसारी भ्राता श्री रत्नसिंहरि की प्रेरणा से साध्वी रत्नचूला के पास प्रव्रज्या अंगीकार की। उदयधर्म के शिष्य ने भावलक्ष्मी पर 'धुल' नाम की रचना संवत् 1508 में की। जिसकी हस्तलिखित प्रति पाटण भंडार में सुरक्षित है। 232 5.2.9 साधुलब्धिगणिनी ( संवत् 1508-1519 मे मध्य ) आप शेठ छाड़ा के वंश में उत्पन्न हुई थीं। आपके दादा खीमसिंहजी ने तपागच्छ के आचार्य लक्ष्मीसागरसूरि से संवत् 1508-1517 के मध्य अपनी पौत्री साधुलब्धि को 'गणिनी' पद दिलवाकर संघ पूजा की थी। 233 5.2.10 आगमरिद्धि ( संवत् 1530 ) आप द्वारा संवत् 1530 का लिखित भक्तामर स्तोत्र बालावबोध की हस्तलिखित प्रति अभय जैन ग्रंथालय संग्रह, बीकानेर नं. 1931 में संग्रहित है | 234 5.2.11 साध्वी कनकलक्ष्मी (संवत् 1557 ) आप गच्छाधीश हेमविमलसूरि के शिष्य पं. सुमतिमंडन गणि की आज्ञानुवर्तिनी गणिनी विनयलक्ष्मी की 230. ऐति. जै. गुर्जर काव्य संचय, पद 18 पृ. 221-222 231. डॉ. शिवप्रसाद, तपागच्छ का इति., पृ. 231 232. जिनशासन नां श्रमणीरत्नो, पृ. 153 233. वही, पृ. 153 234. जै. गु. कविओ भाग 1, पृ. 57 Jain Education International 319 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001693
Book TitleJain Dharma ki Shramaniyo ka Bruhad Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijay Sadhvi Arya
PublisherBharatiya Vidya Pratishthan
Publication Year2007
Total Pages1076
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size24 MB
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