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________________ श्वेताम्बर परम्परा की श्रमणियाँ 5.1.2.36 श्री मणिप्रभाश्रीजी ( संवत् 2014 से वर्तमान) जैन जगत में ओजस्विनी आध्यात्मिक प्रवचनदात्री के रूप में सुविख्यात श्री मणिप्रभाश्रीजी का जन्म संवत् 1998 जयपुर के छाजेड़ परिवार में हुआ। संवत् 2014 फाल्गुन शुक्ला 10 के शुभ दिन टोंक (राज.) में इनकी दीक्षा जैन कोकिला श्री विचक्षणाश्रीजी के पास हुई। हिंदी में एम. ए., साहित्यरत्न के साथ जैन द्रव्यानुयोग की ये विशिष्ट अध्येता हैं। इनके प्रवचन आध्यात्मिक, मनोवैज्ञानिक, पारिवारिक, सामाजिक व्यक्तित्व विकास हेतु सम्बल देने वाले होने से अत्यंत प्रभावोत्पादक होते हैं। इनके प्रवचन से प्रभावित होकर नौ विदुषी कन्याओं ने दीक्षा अंगीकार की, मुनि श्री महेन्द्रसागरजी, श्री मनीषसागरजी, जो श्रीसंघ की अमूल्य धरोहर हैं; इन्हीं की देन हैं। समाज में आवश्यक संस्थाओं हेतु इनकी प्रेरणा से अनेकानेक कार्य हुए हैं। भद्रावती तीर्थ जीर्णोद्धार, कैवल्यधाम तीर्थ, जलगांव, धूलिया, बोदवड़, मालेगांव, दोंडायचा, अमरावती, वाण्याविहार, जयपुर, जोधपुर, इन्दौर, टोंक, रायपुर, बेतुल, बाडमेर, बालाघाट, नागदा, झाबुआ, धमतरी, गोरेगांव, बुलढाणा, मलकापुर, परभणी, चन्द्रपुर, नागपुर, धोलका आदि क्षेत्रों में जिनमंदिर, दादावाड़ियाँ, विचक्षण स्वाध्याय भवन नाम से कई जैन उपाश्रय, हॉस्पीटल, गौशालाएँ, वाचनालय आदि का निर्माण हुआ। हजारों के जीवन को सन्मार्ग पर बढ़ाने वाले इनके लोकप्रिय प्रवचन 'प्रवचन प्रभा' भाग 1-2-3-4, 'शांतिपथ' आदि पुस्तकों में प्रकाशित हुए हैं। अपनी गुरूवर्या से संबंधित पुस्तकें तन में व्याधि मन में समाधि, आत्म-प्रभा, विचक्षण विचार आदि भी प्रकाशित हुई हैं |206 5.1.2.37 श्री शशिप्रभाश्रीजी ( संवत् 2014 से वर्तमान) इनका जन्म संवत् 2001 को फलौदी में गोलेछा श्री ताराचंदजी के यहाँ हुआ। श्री सज्जन श्रीजी से प्रबुद्ध होकर संवत् 2014 मृगशिर कृष्णा 6 को ब्यावर में दीक्षा ग्रहण की। आप उच्चकोटि की विदुषी और व्याख्यात्री हैं, व्याकरण शास्त्री आदि कई उपाधियाँ प्राप्त कर चुकी हैं। श्री सज्जन श्रीजी महाराज का समाधि स्थान आपके प्रयत्नों से निर्मित हुआ है। 207 5.1.2.38 श्री सुलोचनाश्रीजी ( संवत् 2018 से वर्तमान ) इनका जन्म संवत् 2005 को फलौदी के हुड़िया वैद श्री गुमानमलजी के यहाँ हुआ। स्व. श्री गुमानमल जी तपस्वीरत्न थे, उन्होंने अपने जीवनकाल में 500 से अधिक अठाइयां की थीं। आपने संवत् 2018 आषाढ़ कृष्णा 6 को फलौदी में ही श्री तेज श्रीजी के पास दीक्षा अंगीकार की। आपकी 21 साध्वियाँ हैं। आपकी लघुभगिनी श्री सुलक्षणाश्रीजी ने आपके पास संवत् 2028 फाल्गुन शुक्ला 3 को दीक्षा ग्रहण की 1 208 5.1.2.39 श्री सूर्यप्रभाश्री जी ( संवत् 2022 से वर्तमान ) इनका जन्म मालू गोत्रीय ज्ञानचंदजी फलौदी निवासी के यहाँ संवत् 2003 को हुआ। संवत् 2022 मृगशिर 206. पत्राचार से प्राप्त सामग्री के आधार पर 207. खरतरगच्छ का इतिहास, खंड 1, पृ. 418 208 संविग्न साधु-साध्वी परम्परा का इतिहास, पृ. 421 Jain Education International 305 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001693
Book TitleJain Dharma ki Shramaniyo ka Bruhad Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijay Sadhvi Arya
PublisherBharatiya Vidya Pratishthan
Publication Year2007
Total Pages1076
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size24 MB
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