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जैन श्रमणियों का बृहद इतिहास प्रतिष्ठापित कराई गई। आर्या उमाजी ने इसी वर्ष अपनी दादा गुरूणी अमरांजी की, तथा उमेदांजी की भी पादुका प्रतिष्ठित करवाई।158 5.1.144 श्री उमेदांजी (संवत् 1919)
___ संवत् 1919 में साध्वी उमेदांजी की पादुका का उल्लेख बीकानेर के आदिनाथ मंदिर में प्राप्त होता है।।59 5.1.145 श्री ज्ञानमाला जी (संवत् 1924)
संवत् 1924 में भट्टारक श्री जिनहेमसूरि ने विक्रमपुर में साध्वी श्री चनणाश्री की प्रेरणा से साध्वी ज्ञानमाला जी की पादुका बनवाई, जो यतिनी साध्वी थी।10 5.1.146 श्री चंदन श्री जी (संवत् 1930)
संवत् 1930 में साध्वी धेनमाला की शिष्या गुमानश्री उनकी शिष्या चंदनश्री ने अपनी प्रसन्नता से अपनी पादुका बीकानेर में महाराज बहादुर डुंगरसिंह के राज्यकाल में प्रतिष्ठित कराई। ये साध्वी जी बृहत्खरतरगच्छ के भट्टारक आचार्य जिनहेमसूरि की शिष्या थी। 5.1.147 श्री मानलक्ष्मीजी (संवत् 1943)
संवत् 1943 में साध्वी मानलक्ष्मी की चरण पादुका कनकलक्ष्मी द्वारा स्थापित करवाई गई।162 5.1.148 श्री रतनश्रीजी (संवत् 1948) श्री नवलश्रीजी (संवत् 1951)
साध्वी यतनश्री जी ने संवत् 1948 में रतनश्री जी साध्वी की पादुका स्थापित करवाई। आर्या यतनश्री द्वारा ही नवलश्री की पादुका संवत् 1951 में प्रतिष्ठित करवाई गई।163 5.1.149 श्री नवलश्रीजी (संवत् 1964)
संवत् 1964 में चंदनश्री पद पर विराजित नवलश्री जी के जीवन काल में ही चरण पादुका स्थापित होने का उल्लेख प्राप्त होता है यह साध्वी खरतरगच्छ में आचार्य श्री जिनसिद्धिसूरिजी की परंपरा की थी।164 5.1.150 साध्वी जतनश्री (संवत् 1975)
संवत् 1975 में साध्वी श्री जतनश्रीजी की पादुका श्रीसंघ बीकानेर द्वारा प्रतिष्ठित करवाने का उल्लेख है। यहाँ एक स्थान पर संवत् 1981 तथा अन्यत्र 1977 भी उल्लिखित है।।65 158. वही, ले. सं. 2565, 2566,2567, पृ. 363 159. वही, ले. सं. 2025 160. वही, ले. सं. 2311, पृ. 323 161. वही. ले. सं. 2312, पृ. 323 162. बीकानेर जैन लेख संग्रह, ले. सं. 2294 163 वही. ले. सं. 2121, 2120 165. वही. ले. सं. 2314, पृ. 324
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