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श्वेताम्बर परम्परा की श्रमणियाँ 5.1.111 श्री विद्यासिद्धि, समयसिद्धि (संवत् 1711)
श्री कमलहर्ष वाचक ने 'जिनरत्नसूरि निर्वाण रास' आगरा में रचा, उसे पाटण में मानजी करमसी ने संवत् 1711 कार्तिक शुक्ला 7 सोमवार को लिपि कर श्री विद्यासिद्धि, समयसिद्धि को पठनार्थ दिया। प्रति महिमा भक्ति संग्रह बीकानेर बृहद् ज्ञान भंडार (पो. 86) में है। 26
5.1.112 आर्या गौर्या (संवत् 1714)
आर्या गौर्या ने कनककीर्तिकृत 'नेमिनाथ रास' (संवत् 1692) की प्रतिलिपि पांडे जादै से संवत् 1714 में लिखाई। प्रति 'अनंतनाथ जी नुं जैन मंदिर, मांडवी मुंबई नो भंडार' में है।127
5.1.113 श्री महिमासिद्धि (संवत् 1723)
आपकी प्रार्थना पर खरतरगच्छीय भट्टारक श्री जिनचंद्रसूरि के राज्य में वाचक कमलहर्ष ने संवत् 1723 सोजत शहर में 'दशवैकालिक के दस अध्ययन' पर गीत की रचना की।128 साध्वियों की प्रेरणा या अनुनय से प्रेरित होकर आचार्यों एवं विद्वान् मुनियों ने आगम-ग्रंथों को जन-सुलभ भाषा में रचना कर सबके लिये उपयोगी बनाया, ऐसे अनेकों उदाहरण इतिहास में मौजूद हैं।
5.1.114 श्री कीर्तिलक्ष्मी (संवत् 1725)
जिनोदयसूरि विरचित 'हंसराज वच्छराज नो रास' (संवत् 1680) की प्रतिलिपि लक्ष्मीसेन साधु ने संवत् 1725 में साध्वी कीर्तिलक्ष्मी के पठनार्थ तैयार की। यह प्रति अभय जैन ग्रंथालय बीकानेर (नं. 2881) में है।।29 5.1.115 श्री पुष्पमाला, साध्वी प्रेममाला (संवत् 1730)
संवत् 1730 में खरतरगच्छ के भट्टारक श्री जिनधर्मसूरि की शिष्या साध्वी विनयमाला ने साध्वी पुष्पमाला की एवं साध्वी प्रेममाला की चरण पादुका प्रतिष्ठापित करवाई।।30
5.1.116 श्री चन्दनमाला (संवत् 1740)
संवत् 1740 में चन्दनमाला साध्वी की चरण पादुका साध्वी सौभाग्यमाला द्वारा प्रतिष्ठापित करवाई गई।
126. (क) ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह पृ. 234-40 (ख) जै. गु. क., भाग 4, पृ. 186 127. जै. गु. क., भाग 2, पृ. 292 128. डॉ. क्षीरसागर, राजस्थानी हिन्दी हस्त. ग्रंथों की सूची, भाग 8, पृ. 145 129. जै. गु. क., भाग 2, पृ. 151 130. "नाहटा अगरचंद', बीकानेर जैन लेख संग्रह, संख्या 54 131. वही, लेख संख्या-52
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