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________________ जैन श्रमणियों का बृहद इतिहास द्वारा विरोज शहर में लिखी गई। यह प्रति हंसविजय शास्त्र भंडार वडोदरा एवं हेमचन्द्राचार्य ज्ञान मंदिर पाटण में संग्रहित है। साध्वी प्रभावती श्री दयासुंदरीजी की शिष्या थीं। 20 5.1.106 श्री राजश्री (संवत् 1694) संवत् 1694 माघ शुक्ला 11 अमदाबाद में ऋषि राजकीर्ति ने साध्वीजी के लिये उपाध्याय समयसुंदर कृत 'दान शील तप भावना संवाद' (रचना सं. 1662) की प्रतिलिपि की। यह पादरा भंडार (नं. 43) में है। 21 5.1.107 श्री पद्मलक्ष्मी (संवत् 1695) उपाध्याय समयसुंदरकृत 'चार प्रत्येकबुद्ध नो रास' (संवत् 1665) साध्वी हेमा की शिष्या साध्वी पद्मलक्ष्मी के पठनार्थ संवत् 1695 में प्रतिलिपि की गई। प्रति वर्धमान रामजी हेमराज शेठ नो मालो मुंबई या नलिया (कच्छ) में है। 22 5.1.108 श्री विद्यासिद्धि (संवत् 1699) आपकी एक रचना 'गुरूणी गीतम्' नाम से 'ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह' में प्रकाशित है। प्रारम्भ की पंक्ति नहीं होने से गुरूणी का नाम उपलब्ध नहीं हुआ, किंतु उससे यह ज्ञात होता है कि आपकी गुरूणी साउँसुखा गोत्रीय कर्मचन्द की पुत्री थी, और जिनसिंहसूरि (1670-1674) ने उन्हें प्रवर्तिनी' पद दिया था। यह रचना संवत् 1699 भाद्रपद कृष्णा 2 की है। इनकी एक रचना 'जिनराजसूरि गीत' (पद संख्या 5) भी है, जो अगरचंद जी नाहटा बीकानेर के संग्रह में है। 23 5.1.109 श्री सौभाग्यविजया (संवत् 1700) संवत् 1700 में बृहत्खरतरगच्छ के युगप्रधान भट्टारक श्री जिनरंगसूरि परम्परा की साध्वी दीपविजया की शिष्या श्री कीर्तिविजया की शिष्या श्री सौभाग्यविजया की चरणपादुका प्रतिष्ठित की गई।124 5.1.110 श्री कीर्तिलक्ष्मी (संवत् 1702) उपाध्याय पद्मराजकृत 'क्षुल्लक कुमार राजर्षि चरित्र' (संवत् 1667) श्री महेशदास राजा के राज्य में पं. लब्धिनिधान ने संवत् 1702 वैशाख शुक्ला 4 गुरूवार को प्रतिलिपि कर भीनमाल में साध्वी कीर्तिलक्ष्मी को । पठनार्थ प्रदान की थी। प्रति अभय जैन ग्रंथालय बीकानेर (नं. 3754) में है। 25 120. (क) अ. म. शाह, प्रशस्ति संग्रह, पृ. 200, (ख) जै. गु. क., भाग 1, पृ. 132 121. जै. गु. क. भाग 2, पृ. 315 122. जै. गु. क. भाग 2, पृ. 322 123. 'नाहटा', ऐति. जैन काव्य संग्रह, पृ. 214 124. नाहर पूरणचन्द्र, जैन लेख संग्रह, भाग 1, लेख संख्या-205 125. जै. गु. क., भाग 2, पृ. 266 288 288 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001693
Book TitleJain Dharma ki Shramaniyo ka Bruhad Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijay Sadhvi Arya
PublisherBharatiya Vidya Pratishthan
Publication Year2007
Total Pages1076
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size24 MB
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