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________________ जैन श्रमणियों का बृहद इतिहास 4.9.72 क्षुल्लिका अजितमतीजी (संवत् 2024) आपका जन्म जबलपुर में श्री बशोरेलाल जी गोलापूर्व के यहां तथा विवाह राजाराम जी से हुआ। आपको तीन पुत्र व सात पुत्रियाँ हुई, सब प्रकार से सुखी व सम्पन्न होने पर भी आपके हृदय में आचार्य आदिसागर जी महाराज के सदुपदेश से विरक्ति के भाव जागृत हुए और चैत्र कृ. 5 को संवत् 2024 में श्रवणबेलगोला में आचार्य देशभूषण जी से दीक्षा अंगीकार कर ली। दीक्षा के पश्चात् कोथली, फुलेरा आदि स्थानों पर चातुर्मास कर जनता को धर्म के सन्मुख किया। आप तपस्विनी साध्वीजी हैं. सोलहकारण. कर्मदहन, अष्टान्हिका, पंचकल्याण व दशलक्षणव्रत किये हैं।224 4.9.73 क्षुल्लिका जिनमतीजी (संवत् 2024) संवत् 1973 में सागवाड़ा (राजस्थान) निवासी श्री चन्दुलाल जी नरसिंहपुरा के यहां आपका जन्म हुआ, विवाह के छह मास बाद ही वैधव्य ने आपकी दिशा बदल दी, संवत् 2024 फाल्गुन शु. 12 को पारसोला में आप क्षुल्लिका के रूप में दीक्षित हुईं। आपने अपने तपस्वी जीवन एवं शान्त स्वभाव से कइयों में धर्म की श्रद्धा जागृत की।225 4.9.74 क्षुल्लिका श्रीमतिजी (संवत् 2029) ___ आप पिता श्री नेमीचन्द जी सकड़ी (कोल्हापुर) निवासी की पुत्री व शिरहदी (बेलगांव) निवासी पारिसा आदिनाथ उपाध्याय की धर्मपत्नी हैं, दुर्भाग्य से 10 वर्ष बाद पति का स्वर्गवास हो गया आचार्य विमलसागर जी के सदुपदेश से आप धर्ममार्ग पर अग्रसर हुईं, चैत्र शु. 4 सं. 2029 को राजगृही में क्षुल्लिका दीक्षा ग्रहण की। आप अति शान्त, भद्र परिणामी, अध्ययनशीला एवं जिज्ञासुवृत्ति की हैं।26 4.9.75 क्षुल्लिका विशालमतीजी आपका जन्म ग्राम 'चोंकाक' (कोल्हापुर) है, पाँच वर्ष की उम्र में आपके ऊपर विधवापन की छाप लग गई, आपने आत्मकल्याण को सुअवसर जानकर 'ब्रह्मचर्य' व्रत अंगीकार किया, ट्रेनिंग पूर्ण कर अध्यापिका बनी, समाज को सही मार्गदर्शन देने हेतु आपने 'महिला वैभव' नाम की मासिक पत्रिका का संपादकीय पद स्वीकार किया, एक 'कन्याकुमार पाठशाला' की भी स्थापना की। बोरगांव में आचार्य पायसागर जी से क्षुल्लिका दीक्षा लेकर आप धर्मोद्योत कर रही हैं, आप कष्टसहिष्णु, सहनशील और कुशल वक्ता हैं।227 4.9.76 क्षुल्लिका राजमतीजी आप बूचाखेड़ी (कांधला) के शीलचंदजी की अनासक्त भावप्रवण कन्या है। आचार्य देशभूषण जी से कोल्हापुर में वैशाख शु. 12 को क्षुल्लिका दीक्षा अंगीकार करने के पश्चात् आपने पूरे भारत में पैदल भ्रमण किया, एवं स्थान-स्थान पर धार्मिक कार्य किये जयपुर के निकट चूलगिरी क्षेत्र का विकास आपके अथक प्रयत्नों का फल 224. दि. जै. सा., पृ. 336 225. दि. जै. सा., पृ. 364 226. दि. जै, सा., पृ. 406 227. दि. जै. सा., पृ. 581 252 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001693
Book TitleJain Dharma ki Shramaniyo ka Bruhad Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijay Sadhvi Arya
PublisherBharatiya Vidya Pratishthan
Publication Year2007
Total Pages1076
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size24 MB
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