________________
जैन श्रमणियों का बृहद इतिहास
3.2.6 पद्मावती
पद्मावती भी राजा चेटक की पुत्री एवं राजा दधिवाहन की पत्नी थी, इन्हीं की प्रेरणा से राजा दधिवाहन ने चम्पानगरी को जैनधर्म का केन्द्र बनाया था। प्रत्येक बुद्ध करकण्डु पद्मावती के ही पुत्र थे। करकण्डु जब गर्भ में थे, तभी पद्मावती ने दन्तपुर में श्रमणियों के पास दीक्षा अंगीकार कर ली थी। उसके जन्म के पश्चात् प्रायश्चित लेकर शुद्धिकरण किया। पिता-पुत्र के सम्बन्ध से अनभिज्ञ राजा दधिवाहन एवं राजा करकण्डु का जब आपसी घोर संग्राम होने जा रहा था, तब समरभूमि में जाकर पद्मावती ने पिता-पुत्र का मिलन करवा कर युद्ध विराम ही नहीं कराया, वरन् दधिवाहन को भी दीक्षा की प्रेरणा दी।17
समीक्षात्मक टिप्पणी
पद्मावती का अन्य नाम 'धारणी' एवं उसकी पुत्री वसुमती (चंदना) के होने का उल्लेख डॉ. हीराबाई बोरदिया ने अपने शोध ग्रंथ में किया है, किंतु यह युक्तिसंगत नहीं लगता, करकंडु को श्रमणी अवस्था में जन्म देने की घटना भी जिस पद्मावती के साथ में जुड़ी हुई है उसने देहोत्सर्ग नहीं किया था, देहोत्सर्ग की घटना का संबंध वसुमती की माता धारणी से है। इससे प्रतीत होता है कि पद्मावती और धारणी दधिवाहन की दो भिन्न-2 रानियां थीं।
3.2.7 नंदा (वी. नि. 23 वर्ष पूर्व)
नंदा दक्षिण देशस्थ वेण्यातट नामक नगर के व्यापारी भद्रश्रेष्ठी की गुणवान पुत्री थी। अपने निर्वासनकाल में राजगृह के सम्राट श्रेणिक ने इनसे विवाह किया था। श्रेणिक की 23 रानियों में नंदा सबमें ज्येष्ठ थी। इतिहास विश्रुत बुद्धिनिधान मंत्री अभयकुमार नंदा के ही पुत्र थे। भगवान महावीर अपनी केवलीचर्या के सातवें वर्ष में राजगृह पधारे, उन के उपदेश को श्रवण कर नंदा ने राजा श्रेणिक की आज्ञा से चन्दनबाला के पास दीक्षा अंगीकार की। दीक्षा के पश्चात् उन्होंने सामायिक आदि ग्यारह अंगों का अध्ययन किया तथा अनेक प्रकार की उग्र तपस्याएँ की। बीस वर्षों तक चारित्र पर्याय का पालन तथा दो मास की संलेखना द्वारा सर्व कर्मों का क्षय करके अंत में निर्वाण को प्राप्त हुई।
___ नंदा के साथ ही श्रेणिक की अन्य रानियाँ 2 नंदमती 3. नंदोत्तरा 4. नंदिसेणिया, 5. मरुया 6. सुमरुया 7. महामरुता 8. मरूदेवा 9. भद्रा 10. सुभद्रा 11. सुजाता 12. सुमना और 13 भूतदत्ता ने भी आर्या चन्दना के पास दीक्षा अंगीकार की। ज्ञान एवं तप की उत्कृष्ट आराधना कर बीस वर्ष तक संयम का पालन कर सभी ने मुक्ति प्राप्त की।
3.2.8 मृगावती (वि. नि. 22 वर्ष पूर्व)
वैशाली गणराजा चेटक की तृतीय पुत्री एवं कौशाम्बी नरेश शतानिक की पत्नी महारानी मृगावती अद्वितीय सुंदरी 16. आव. नि., भा. 2 पृ. 151 17. दो वि रज्जाणि तस्स दाऊण दहिवाहणो पव्वइओ-उत्तरा. नेमिवृत्ति पृ. 90 18. जैनधर्म की प्रमुख साध्वियों और महिलाएँ, पृ. 72 19. आवचू., भा. 2 पृ. 1773; नंदीवृत्ति मलयगरि पृ. 150 20. अन्तकृ., वर्ग7 21. (क) आव. चू., भा. 1 पत्र 91, (ख) प्राप्रोने. 2 पृ. 601-2
174
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org