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________________ जैन श्रमणियों का बृहद इतिहास पुत्र थे । पृथिवीतिलका इसकी सौंत थी। राजा के उसमें आसक्त हो जाने से विरक्त होकर इसने सुमति गणिनी से आर्यिका दीक्षा ले ली थी। 237 2.6.70 सुव्रता एक आर्यिका । भरतक्षेत्र में हस्तिनापुर नगर के राजा गंगदेव की रानी नंदयशा ने इन्हीं से दीक्षा ली थी। 238 2.6.71 सुव्रता यशोदा की पुत्री ने व्रतधर मुनि से अपना पूर्वभव सुनकर इन आर्यिका से दीक्षा ली थी। 239 2.6.72 सुव्रता जम्बूद्वीप के भरतक्षेत्र में शंख नगर के वैश्य देविल की पुत्री ने इन्हें आहार दिया था | 240 2.6.73 सोमश्री चम्पानगरी के अग्निभूति ब्राह्मण तथा उसकी पत्नी अग्निला की तीन पुत्रियों में दूसरी पुत्री । इनका विवाह इसके फुफेरे भाई सोमिल से हुआ था। अपनी बहिन नागश्री द्वारा विष मिश्रित आहार देकर मुनि को मार डालने की घटना से दुःखी होकर पति-पत्नी दोनों दीक्षित हो गये थे। आयु के अन्त में मरकर दोनों देव हुए तथा स्वर्ग से च्यवकर यह सहदेव हुई थी | 241 2.6.74 सोमिल्या आर्जिका पुत्रवधु कुम्भश्री के स्पर्श से और "ज्येष्ठजिनवरव्रत" से उसकी कुरूपता दूर हुई और दीक्षा ली 1242 2.6.75 स्वयंप्रभा मंदोदरी की छोटी बहिन । रावण ने इसे सहस्ररश्मि को देना चाहा था, किन्तु इसने उसे स्वीकार न करके दीक्षा ले ली थी । 243 2.6.76 हिरण्यमती दान्तमती आर्यिका ने इन्हीं के साथ विहार किया था। रानी रामदत्ता की यह दीक्षा गुरू थी । 244 237. मपु. 62/168-75, दृ. जैपुको. पृ. 460 238. मपु. 71/287-88, हपु. 33 / 141-43, 165 दृ. जैपुको. पृ. 462 239. मपु. 70/405-8 दृ. जैपुको. पृ. 462 240. मपु. 62/494-8 दृ. जैपुको. पृ. 462 241. हपु. 64/4-13, 137-38 दृ, जैपुको. पृ. 468 242. जैन व्रत कथा संग्रह, पृ. 141 243. पपु. 10/161 दृ. जैपुको. पृ. 474 244. मपु. 59/199-200 दृ. रामदत्ता Jain Education International 148 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001693
Book TitleJain Dharma ki Shramaniyo ka Bruhad Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijay Sadhvi Arya
PublisherBharatiya Vidya Pratishthan
Publication Year2007
Total Pages1076
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size24 MB
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