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________________ जैन श्रमणियों का बृहद इतिहास ली। इसके बाद जिनदेव के छोटे भाई जिनदत्त से विवाह हुआ। उसने भी इसे स्नेह नहीं दिया। अन्त में इस आत्म-निन्दा करते हुए शान्ति आर्यिका से दीक्षा ले ली और समाधिमरण करके अच्युत स्वर्ग में देवांगना हुई। स्व से च्यवकर यही राजा द्रुपद की पुत्री द्रौपदी बनी 125 2.6.58 सुन्दरी मथुरा के राजा शूरसेन के पुत्र सूरदेव की स्त्री थी। यही विरक्त होकर दीक्षित हो गई थी । 226 2.6.59 सुप्रबुद्धा साकेत नगर के राजा अरिंजय के पुत्र अरिंदम और उनकी श्रीमती रानी की पुत्री। इसने प्रियदर्शना आर्यिका दीक्षा ले ली थी। आयु के अंत में सौधर्म इन्द्र की यह मणिचूला नाम की देवी हुई | 227 2.6.60 सुप्रभा धातकी खंड द्वीप के पश्चिम विदेह क्षेत्र में गंधिलदेश की अयोध्या नगरी के राजा जयवर्मा की रानी और अजितंजय की जननी। राजा जयवर्मा के दीक्षित होकर मोक्ष जाने के पश्चात् यह सुदर्शना गणिनी के पास रत्नावली व्रत करके अच्युत स्वर्ग के अनुदिश विमान में देव हुई | 228 2.6.61 सुप्रभा गणिनी आर्यिका थी। राजा दमितारि की पुत्री कनक श्री ने इन्हीं से दीक्षा ली थी। 229 2.6.62 सुभद्रा सद्भद्रिलपुर के राजा मेघरथ रानी और दृढ़रथ की जननी थी। राजा मेघरथ के दीक्षा धारण कर लेने पर सुदर्शना आर्यिका के पास इसने भी दीक्षा ले ली थी। 230 2.6.63 सुभद्रा अर्जुन की पत्नी । यह कृष्ण की बहिन तथा अभिमन्यु की जननी थी। इसने राजीमती गणिनी से दीक्षा लेकर तपश्चरण किया था। आयु के अन्त में मरकर सोलहवें स्वर्ग में देव हुई | 231 225. मपु. 72/241-48, 256-59, 263 दृ. जैपु को पृ. 445 226. हपु. 33/96-99, 127, 60/51. जै. पु. को. पृ. 451 227. मपु. 72/25, 34-36 दृ. जै. पु. को. पृ. 452 228. मपु. 7/38-44 दृ. जैपुको. पृ. 452 229. मपु. 62/500-8 दृ. जैपु.को. पृ. 453 230. मपु. 70/183, हपु. 18/ 112, 116-117 दृ. जैपुको. पृ. 454 231. मपु. 72/214, 264-66; हपु. 47/18 दृ. जैपुको. पृ. 454 Jain Education International 146 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001693
Book TitleJain Dharma ki Shramaniyo ka Bruhad Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijay Sadhvi Arya
PublisherBharatiya Vidya Pratishthan
Publication Year2007
Total Pages1076
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size24 MB
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