SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 202
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ जैन श्रमणियों का बृहद इतिहास 2.6.22 पद्मलता पुष्करवरद्वीप के सरित्देश में स्थित वीतशोकपुर के राजा चन्द्रध्वज और कनकमालिनी की पुत्री, इसने गणिनी अमितसेना के पास संयम धारण किया और मरकर स्वर्ग में देव हुई। 90 2.6.23 पद्मावती यह कलिंग देश के बसंतपुर नगर के राजा वीरश्रेणी के राजकुमार चित्रश्रेणी की पत्नी थी, जब भ. महावीर का समवसरण कुमारी पर्वत पर लगा, उस समय उसने पति चित्रश्रेणी के साथ आर्यिका दीक्षा धारण की। 2.6.24 पद्मावती राजपुर के वृषभदत्त सेठ की भार्या, इसने सुव्रता आर्यिका से संयम लिया था। गन्धर्वपुर के राजा वासव की रानी प्रभावती ने इससे दीक्षा ली थी, भद्रिलपुर के राजा मेघनाद की रानी विमल श्री ने भी इसी आर्या से दीक्षा ली थी।192 2.6.25 पद्मिनी पूर्वजन्म में इसने "चंदनषष्ठीव्रत" की विधिपूर्वक आराधना की थी, अपने पूर्वभव का वृतांत सुनकर भोगों से वैराग्य उत्पन्न हुआ और दीक्षा लेकर 16वें स्वर्ग में देव बनी।193 2.6.26 प्रभावती महाविदेह के विजयार्ध पर्वत की उत्तरश्रेणी के गन्धर्वपुर नगर के राजा विद्याधर वासव की रानी व महीधर की जननी। इसने पद्मावती आर्यिका से रत्नावली तप ग्रहण किया था, मरकर अच्युतेन्द्र स्वर्ग में प्रतीन्द्र हुई थी।194 2.6.27 प्रियदर्शना इसने अयोध्या के राजा अरविन्द की पुत्री सुप्रबुद्धा को दीक्षा दी थी।195 2.6.28 प्रियमित्रा गणिनी आर्यिका। इसने विजयार्ध पर्वत के वस्त्वालय नगर के राजा सेन्द्रकेतु की पुत्री मदनवेगा को दीक्षा दी थी। अन्य एक प्रियमित्रा राजा मेघरथ की पत्नी, नन्दीवर्धन की जननी। यह अत्यधिक रूपवती थी। देवसभा में इसके 190. डॉ. नेमिचन्द्र शास्त्री: तीर्थंकर महावीर और उनकी आचार्य परम्परा, भाग 1, पृ. 260 191. मपु. 62/365 दृ. जै. पु. को. पृ. 213 192. जैन व्रत कथा संग्रह, पृ. 66 193. मपु. 75/314-19 दृ. जै. पु. को, पृ. 230 194. मपु. 7/30; 29/32, दृ. जै. पु. को. पृ. 237 195. मपु. 72/34-35 दृ. जै. पु. को. पृ. 242 140 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001693
Book TitleJain Dharma ki Shramaniyo ka Bruhad Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijay Sadhvi Arya
PublisherBharatiya Vidya Pratishthan
Publication Year2007
Total Pages1076
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size24 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy