________________
पूर्व पीठिका
हस्तलिखित पोथी में श्रमणी का चित्र ( संवत् 1480 ) 299
चित्र 21
श्री लक्ष्मणगणि विरचित प्राकृत 'सुपासनाहचरियं' की हस्तलिखित प्राचीन प्रति में 37 रंगीन चित्र दिये हैं, जिसके 35वें चित्र में 'सुपार्श्वनाथ स्वामी के मुख्य गणधर 'दिन्न' वन में परिषद के समक्ष उपदेश देते दिखाये गये हैं। दो श्रावक हैं, उनके पीछे एक श्रमणी है, जिसके वस्त्र श्वेत हैं हाथ में मुँहपत्ती तथा बगल में रजोहरण है। एक वस्त्र है जो बांये कंधे पर है। दोनों हाथ जुड़े हुए उसके पीछे एक श्राविका है।
यह प्रति पाटण के 'श्री हेमचन्द्राचार्य जैन ज्ञान मंदिर' में सुरक्षित तपागच्छीय जैन ज्ञानभंडार की है। प्रति का क्रमांक 15069 है। पत्र सं. 443 है, प्रति वि. सं. 1479-80 में लिखी गई है।
साध्वी श्री रुपाई आदि श्रमणियों का चित्र ( 16वीं सदी के लगभग 300
3501719
चित्र 22
स्वर्ण की स्याही से लिखित कल्पसूत्र के एक पन्ने पर एक साधु एवं तीन साध्वियों के चित्र हैं। साधु के चित्र के ऊपर 'भट्टारक श्री विजयदेव सूरीश्वर गुरुभ्यो नमः' लिखा हुआ है तथा साध्वियों के चित्र के ऊपर 'साही श्री 299. मुनि पुण्यविजयजी, आ. विजयवल्लभसूरि स्मारक ग्रंथ, पृ. 176.
300. स्व. श्री गुलाबचंद लोढ़ा चांदनी चौक, दिल्ली भंडार से प्राप्त
Jain Education International
79
For Private Personal Use Only
www.jainelibrary.org