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काष्ठपट्टिका पर साध्वी नयश्री और नयमती का चित्र (संवत् 1150)292
चित्र 15
यह चित्र एक काष्ठफलक पर अंकित है, इसमें साध्वियों का उपाश्रय दर्शाया गया है। पट्ट पर " प्रवर्तिनी विमलमती" बैठी हुई है उनके पृष्ठ भाग में भी पीठफलक सुशोभित है, सामने दो साध्वियाँ बैठी हुई हैं, जिनके नाम 'नयश्री साध्वी' और 'नयमतिम्' लिखा हुआ है। तीनों के मध्य स्थापनाचार्य जी रखे हुए हैं। साध्वी जी के पीछे एक श्राविका आसन पर बैठी हुई है। जिस पर उसका नाम 'नंदीसीर' ( श्राविका ) लिखा हुआ है।
इसमें श्री जिनदत्तसूरि जी का दीक्षा नाम ( श्री सोमचन्द्र गणि) लिखा हुआ है नाहटा जी ने इस काष्ठपट्टिका का समय सं. 1150 के लगभग माना है। यह सचित्र काष्ठपट्टिका सेठ शंकरदान नाहटा कलाभवन में संग्रहित है।
काष्ठफलक पर चित्रित श्रमणियां (संवत् 1169) 293
जैन श्रमणियों का बृहद इतिहास
श्री डान
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चित्र 16
उक्त काष्ठफलक भी श्री नाहटाजी के 'सेठ शंकरदान कलाभवन बीकानेर' में संग्रहित है। इसमें जिनदत्तसूरि ने वंदन करते हुए भक्त श्रावक के मस्तक पर अपना एक हाथ रखा हुआ है। उनके पृष्ठ भाग में दो साध्वियाँ हैं, जिसमें एक साध्वी का चित्र स्पष्ट है। हाथ में मुखवस्त्रिका एवं बगल में रजोहरण है। दाहिने हाथ का अंगूठा व तर्जनी उंगली मिलाई हुई है । यह काष्ठपफलक वि. सं. 1169 के पश्चात् 12वीं सदी के अंत समय का माना जाता
है।
292-293. श्री जिनचंद्रसूरि अष्टम शताब्दी स्मृति ग्रंथ, श्री भँवरलाल नाहटा, पृ. 55-56.
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