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________________ पूर्व पीठिका पाठशाला में अध्ययनरत मुनि व आर्यिकाएँ चित्र 5 : देवगढ़ में साध्वियों की मूर्तियाँ (9वीं से 11वीं शती ई.) यद्यपि दिगम्बर परम्परा में मान्यता है कि स्त्री मोक्ष की अधिकारिणी नहीं है, परन्तु देवगढ़ के मंदिरों में साध्वियों की मूर्तियाँ विपुल परिमाण में उपलब्ध होती हैं। जैसे मंदिर संख्या-4 के भीतर उत्तरी भित्ति के एक विशिष्ट शिलाफलक पर 11वीं शती ई0 में निर्मित पाठशाला का सुन्दर दृश्यांकन है, उसमें ऊपर की पंक्ति में 4 साधु एवं नीचे की पंक्ति में हस्तबद्ध मुद्रा में चार आर्यिकाओं का रूपायन हुआ है। आर्यिकाओं की बगल में उनकी मयूरपिच्छी दबी है, कमण्डलु उनके सामने रखे हुए हैं। पुन: दो स्तम्भों के मध्य चार आर्यिकाओं को विनयपूर्वक झुके दिखाया गया है, जिसमें उनका श्रद्धाभाव जीवन्त हो उठा है। मंदिर संख्या-3 के स्तम्भ पर दक्षिणी कोष्ठक में छह आर्यिकाएँ पिच्छी एवं कमण्डलु सहित विनयावनत मुद्रा में दिखाई गई हैं और पश्चिमी कोष्ठक में पिच्छी बगल में दबाए दिखाई गई है।281 ____इसी प्रकार मंदिर संख्या 36/10 जो पिरामिड शैली के शिखर वाला है उसके तीन स्तम्भों पर 16वीं 17वीं शती के कई लेख उत्कीर्ण हैं इन स्तम्भों पर जैन साधुओं के नीचे जैन साध्वियों की भी कायोत्सर्ग मुद्रा में आकृतियाँ मयूरपिच्छी व कमण्डलु सहित उकेरी गई हैं, जो दिगम्बर परम्परा और चिन्तन की व्यापकता तथा उदारता की सूचक है । यहाँ साध्वियों को साधना के गहनतम क्षणों में दिखाया गया है। जैन साधु जहाँ मयूरपिच्छी व कमण्डलु सहित निर्वस्त्र हैं, वहीं साध्वियाँ धोती सहित हैं।82 उपर्युक्त चित्र में मुनि व आर्यिकाएँ पाठशाला में अध्ययनरत दिखाये गये हैं। 281. प्रो. मारूतीनन्दन तिवारी, जैन कला तीर्थ देवगढ़, पृष्ठ 119-20 282. वही, पृष्ठ 136 Jain Education International For P e rsonal Use Only www.jainelibrary.org.
SR No.001693
Book TitleJain Dharma ki Shramaniyo ka Bruhad Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijay Sadhvi Arya
PublisherBharatiya Vidya Pratishthan
Publication Year2007
Total Pages1076
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size24 MB
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