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मन -- शक्ति, स्वरूप और साधना : एक विश्लेषण : 121
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ध्यायतो विषयान पुंसः : संगस्तेषूपजायते। संगात्संजायते कामः कामात्क्रोधोऽभिजायते।। क्रोधाद् भवति संमोह: संमोहात्स्मृतिविभ्रमः । स्मृतिभ्रंशाद् बुद्धिनाशो बुद्धिनाशात्प्रणश्यति।। -- गीता, 2/62-63 रागो या दोसा वि य कम्मबीयं कम्मं च मोहप्पभवं वयंति। कम्मं च जाइमरणस्स मूलं दुक्खं च जाई मरणं वयंति।। -- उत्तराध्ययन, 3216 इच्छा-देष-समुत्थेन द्वन्दमोहेन भारत ! सर्वभूतानि सम्मोहं सर्गे यान्ति परन्तप ! ।। -- गीता, 7/27 संयुत्तनिकाय, नन्दन वर्ग, पृ0 12 विनेन्द्रियजयं नैव कषायान् जेतुमीश्वरः । -- योगशास्त्र, 4/24 उत्तराध्ययनसूत्र, 32/23 वही, 32/24 वही, 32/27 वही, 32/28 वही, 32/32 वही, 32/36 वही, 32/37 वही, 32/40 वही, 32/41 वही, 32/43 वही, 32/49 वही, 32/50 वही, 32/53 वही, 32/54 वही, 32/62 वही, 32/63 वही, 32/71 वही, 32/72 वही, 32/75 वही, 32/76 वही, 32/79 वही, 32/80 वही, 32/84 योगशास्त्र (हेमचन्द्र) प्रकाश 4 गीता, 2/60-67, 3/41
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