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________________ जैन विधि-विधान सम्बन्धी साहित्य का बृहद् इतिहास / 609 फलाफलविषयक - प्रश्नपत्र यह लघुकृति उपाध्याय यशोविजय रचित मानी जाती है। इसकी रचना वि.सं. १७३० में हुई है। इसमें चार चक्र हैं और प्रत्येक चक्र में सात कोष्टक हैं। बीच के चार कोष्ठकों में 'ॐ ह्रीं श्रीं अहँ नमः' लिखा हुआ है। इन प्रत्येक के छः-छः कोष्ठकों में प्रभु ऋषभदेव से लेकर महावीरस्वामी तक के चौबीस तीर्थंकरों के नाम अंकित हैं। इन्हीं कोष्ठकों में चौबीस विषयों को लेकर प्रश्न किये गये हैं। वे २४ विषय निम्न हैं। - १. कार्य की सिद्धि, २. मेघवृष्टि, ३. देश का सौख्य, ४. स्थानसुख, ५. ग्रामांतर, ६. व्यवहार, ७. व्यापार, ८. व्याजदान, ६. भय, १०. चतुष्पाद, ११. सेवा, १२. सेवक, १३. धारणा, १४. बाधारुघा, १५. पुररोध, १६. कन्यादान, १७. वर, १८. जयाजय, १६. मन्त्रौषधि, २०. राज्यप्राप्ति, २१. अर्थचिन्तन, २२. संतान, २३. आंगतुक और २४. गतवस्तु उपर्युक्त चौबीस तीर्थंकरों में से किसी एक पर फलाफलविषयक छः छः उत्तर हैं जैसे ऋषभदेव के नाम पर निम्नोक्त उत्तर है शीघ्रं सफला कार्यसिद्धिर्भविष्यति, अस्मिन् व्यवहारे मध्यमं फलं दृश्यते, ग्रामान्तरे फलं नास्ति, कष्टमस्ति, भव्यं, स्थानसौख्यं भविष्यति, अल्पा मेघवृष्टिः संभाव्यते । उपर्युक्त २४ प्रश्नों के १४४ उत्तर संस्कृत में हैं। इसके साथ ही प्रश्न कैसे निकालना ? उसका फलाफल कैसे जानना ? इत्यादि वर्णन उस समय की गुजराती भाषा में किया गया है। ' बलिरामानन्दसारसंग्रह इस ज्योतिष ग्रन्थ की रचना उपाध्याय भुवनकीर्त्ति के शिष्य पं. लाभोदयमुनि ने की है। इस ग्रन्थ में सामान्य मुहूर्त विधि, नाड़ी चक्र, नासिकाविचार, शकुनविचार, स्वप्नाध्याय, अंगोपांगस्फुरण, सामुद्रिकसंक्षेप, लग्ननिर्णयविधि, नर-स्त्री - जन्मपत्रीनिर्णय, योगोत्पत्ति, मासादिविचार वर्षशुभाशुभफल आदि विषयों का निरूपण है । यह एक संग्रहग्रन्थ मालूम होता है। ' २ भद्रबाहुसंहिता वर्तमान में 'भद्रबाहुसंहिता' नामक एक ग्रन्थ देखने को मिलता है वह यह कृति 'जैन संशोधक' त्रैमासिक पत्रिका में प्रकाशित हुई है। २ इसकी अपूर्ण प्रति ला.द.भा.सं. विद्यामंदिर, अहमदाबाद में है। प्रति - लेखन १६वीं शती का है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001679
Book TitleJain Vidhi Vidhan Sambandhi Sahitya ka Bruhad Itihas Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith Shajapur
Publication Year2006
Total Pages704
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, Ritual, History, Literature, & Vidhi
File Size11 MB
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