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जन्मप्रदीपशास्त्र
इस ग्रन्थ के कर्त्ता एवं ग्रन्थ का रचनाकाल अज्ञात है। इसमें कुण्डली के १२ भुवनों के लग्नेश के बारे में चर्चा की गई है। यह ग्रन्थ पद्य में है । ' जन्मपत्री - पद्धति
जैन विधि-विधान सम्बन्धी साहित्य का बृहद् इतिहास / 599
इस ग्रन्थ की रचना नागोरी तपागच्छीय श्री हर्षकीर्तिसूरि ने वि.सं. १६६० में की है। इस ग्रन्थ की संकलना सारावली, श्रीपतिपद्धति आदि विख्यात ग्रन्थों के आधार से की गई है। इसमें जन्मपत्री बनाने की रीति, ग्रह, नक्षत्र, वार, दशा आदि के फल बताये गये हैं।
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जन्मपत्री - पद्धति
इसकी रचना खरतरगच्छीय मुनि कल्याणनिधान के शिष्य लब्धिचन्द्रगणि ने वि.सं. १७५१ में की है। यह एक व्यवहारोपयोगी ज्योतिष ग्रन्थ है। इस ग्रन्थ में इष्टकाल, भयात, भंभोग, लग्न और नवग्रहों का स्पष्टीकरण करने की विधि बतायी गई है। साथ ही इसमें जन्मपत्री के सामान्य फलों का वर्णन किया गया है। यह ग्रन्थ अप्रकाशित है।
जन्मपत्री - पद्धति
यह ग्रन्थ मुनि महिमोदय ने वि.सं. १७२१ में रचा है। इसकी रचना गद्य में है। इसमें सारणी, ग्रह, नक्षत्र, वार आदि के फल बताये गये है।
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जयपाहुड़
यह एक निमित्तशास्त्र का ग्रन्थ है। इसके कर्त्ता का नाम अज्ञात है। इसे जिनभाषित कहा गया है। यह रचना ईसा की १० वीं शताब्दी के पूर्व की मानी गई है। यह कृति प्राकृत में है । इसमें ३७८ गाथाएँ हैं यह ग्रन्थ अतीत, अनागत आदि से सम्बन्धित नष्ट, मुष्टि, चिंता, विकल्प आदि अतिशयों का बोध कराता है। इससे लाभ - अलाभ का ज्ञान प्राप्त होता है। जिनमें संकट - विकट प्रकरण, मनुष्यप्रकरण, पक्षीप्रकरण, चिंताभेद प्रकरण, गुणाकर प्रकरण, अस्त्रविभाग प्रकरण आदि से सम्बन्धित विवेचन है। यह ज्ञातव्य कि निमित्त विषयक कथन की भी एक पद्धति, विधि और रीति होती है।
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इसकी ५ पत्रों की हस्तलिखित प्रति ला. द. भा. सं. विद्यामंदिर अहमदाबाद में है।
२ इस ग्रन्थ की ५३ पत्रों की प्रति अहमदाबाद के ला. भा. सं. विद्यामंदिर में है।
३ इस ग्रन्थ की १० पत्रों की प्रति ला. द. भा. सं. विद्यामंदिर अहमदाबाद में है।
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यह ग्रन्थ चूडामणिसार-सटीक के साथ सिंधी जैन ग्रन्थमाला, बंबई से प्रकाशित हुआ है।
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