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________________ जैन विधि-विधान सम्बन्धी साहित्य का बृहद् इतिहास/571 करने से सम्बन्धित हैं। नवम द्वार में देवी-देवताओं को आमन्त्रित करने की संक्षिप्त विधि प्रतिपादित है। दशम द्वार में मन्त्र की महिमा आदि का वर्णन किया गया है। ___ अन्त में पाँचपीठ के लब्धिपदों की सम्मिलित अक्षरसंख्या और प्रत्येक पट्ट की अलग-अलग अक्षरसंख्या निरूपित हैं। सूरिमंत्र इसके सम्बन्ध में विधिमार्गप्रपा' (पृ. ६७) में कथन हैं कि यह सूरिमंत्र भगवान महावीर स्वामी ने गौतमस्वामी को २१०० अक्षर-परिमाण दिया था और गौतमस्वामी ने उसे ३२ श्लोकों में गूंथा था। यह मन्त्र धीरे-धीरे घटता जा रहा है और दुःप्रसह मुनि के समय में ढ़ाई श्लोक-परिमाण रह जायेगा। इस मंत्र में पाँच पीठ हैं १. विद्यापीठ २. महाविद्या-सौभाग्यपीठ ३. उपविद्या लक्ष्मीपीठ ४. मंत्रयोग-राजपीठ और ५. सुमेरूपीठ प्रदेशविवरण - इसे सूरिविद्याकल्प भी कहते हैं। इसकी रचना जिनप्रभसूरि ने की है। संभवतः यह सूरिमन्त्रबृहत्कल्पविवरण के नाम से प्रकाशित किया गया है। सूरिमन्त्रकल्प इस कृति के रचयिता जिनप्रभसूरि है ऐसा स्वयं के द्वारा विधिमार्गप्रपा (पृ. ६७) में लिखा गया है। प्रोक्त तीनों कृतियों का अध्ययन एवं मनन करने से अवगत होता हैं कि भले ही इनमें नामसाम्य नहीं हों, परन्तु विषय वस्तु की दृष्टि से समान प्रतीत होती है। सूरिमन्त्रकल्प ___ यह कृति अज्ञातसूरि द्वारा रचित प्राकृत गद्य-पद्य में निर्मित है, यथाप्रसंग संस्कृत गद्य का भी प्रयोग हुआ है। इसका ग्रन्थाग्र २२० श्लोक परिमाण है। प्रस्तुत कृति के प्रारम्भ में मंगलरूप एक गाथा दी गई है उसमें श्रेष्ट सूरिमंत्र की साधना के द्वारा जिन्होंने श्रुत की प्रवृद्धि की और जो सिद्ध हो गये, ऐसे गौतमस्वामी को नमस्कार करके उनके वचनों का संग्रह किये जाने का उल्लेख है। अन्त में संस्कृत गद्यमय लघुप्रशस्ति का निर्देश है जिसमें सूरिमन्त्र को सिद्ध करने वाले खेती, रोहिणी, नागार्जुन, आर्यखपुट एवं यशोभद्राचार्य इन पाँच आचार्यों के नामों का उल्लेख किया गया है एवं सूरिवरों से क्षमायाचना की गई हैं। इसमें ' यह ग्रन्थ सन् १६४१, जिनदत्तसूररि भण्डार ग्रन्थमाला से प्रकाशित है। इसका प्रथमादर्श (प्रतिलिपि) कर्ता के शिष्य उदयाकरगणी ने लिखा है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001679
Book TitleJain Vidhi Vidhan Sambandhi Sahitya ka Bruhad Itihas Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith Shajapur
Publication Year2006
Total Pages704
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, Ritual, History, Literature, & Vidhi
File Size11 MB
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