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________________ जैन विधि-विधान सम्बन्धी साहित्य का बृहद् इतिहास/541 निष्कर्षतः यह ग्रन्थ पंच परमेष्ठी की साधनाविधि एवं तत्सम्बन्धी जानकारी की दृष्टि से अपना विशिष्ट स्थान रखता है। इस कृति के अन्त में पंचपरमेष्ठी से सम्बन्धित ८८ मन्त्र दिये गये हैं जो पृथक्-पृथक् विषयों, उपचारों एवं विद्याओं से सम्बद्ध हैं तथा अन्तिम चार अधिकारों का वर्णन उक्त मन्त्र पदों के साथ किया गया है। पद्मावती-उपासना यह कृति यंत्र-मंत्र एवं तंत्र प्रधान है।' इसका आलेखन दिगम्बरीय आचार्य कुन्थुसागरजी ने किया है। इसके संपादक सुभाषसकलेचा है। यह कृति मुख्यतः माता-पद्मावती की उपासना-साधना विधि से सम्बन्धित है। इसमें पार्श्व पद्मावती से संबंध रखने वाले पाँच प्रकार के स्तोत्र दिये गये हैं। पहला मदगीर्वाण नाम का पद्मावती स्तोत्र दिया गया है जो ३७ पद्यों से युक्त है। उन ३७ पद्यों में से आगे के २६ पद्यों का यंत्र सहित उल्लेख हुआ है। साथ ही इसमें प्रत्येक यंत्र की साधना विधि और फल बताया गया है। शेष पद्य बीजमंत्र रूप न होने से उनके यंत्र नहीं दिये गये हैं। मात्र उन पद्यों की साधनाविधि और फल का कथन किया गया है। दूसरा सरल पद्मावती नामक स्तोत्र उल्लिखित है जो हिन्दी के २३ पद्यों में गुम्फित है। तीसरा पाँच गाथा वाला उवसग्गहरंस्तोत्र सामान्य आराधनाविधि के साथ प्रस्तुत किया गया है। चौथा पार्श्वनाथ की आराधना से सम्बन्धित सत्ताईस गाथा वाला उवसग्गहरं स्तोत्र दिया गया है। इसमें इस स्तोत्र की प्रत्येक गाथा का यंत्र, उसकी साधनाविधि एवं फल भी बताया गया है। इस स्तोत्र से सम्बन्धित कुल २६ यंत्र दिये गये हैं। पाँचवां चक्रेश्वरीदेवी का स्तोत्र दिया गया है जो आठ पद्यों एवं आठ यंत्रों की साधना विधि से युक्त है। निष्कर्षतः यह कृति पद्मावती देवी की साधना विधि की दृष्टि से अत्यन्त उपयोगी है। इस कृति में प्रत्येक पद्य एवं गाथा का हिन्दी भावार्थ भी दिया गया है। बृहत्हींकारकल्पविवरण विक्रम की १४ वीं शती में जिनप्रभसरि नाम के एक प्रभावक आचार्य हुये हैं। ये अनेकविध भाषाओं के जानकार थे। उनके जीवन का एक नियम था कि वे प्रतिदिन एक स्तवन, स्तोत्र या स्तुति की रचना करने के बाद ही आहार ' यह कृति सुभाषसकलेचा १/१२/१४३ सुभाषमार्ग, पो. बॉक्स ८६, जालना से प्रकाशित है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001679
Book TitleJain Vidhi Vidhan Sambandhi Sahitya ka Bruhad Itihas Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith Shajapur
Publication Year2006
Total Pages704
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, Ritual, History, Literature, & Vidhi
File Size11 MB
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