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________________ जैन विधि-विधान सम्बन्धी साहित्य का बृहद् इतिहास/535 नमस्कार स्वाध्याय (प्राकृत विभाग-भाग १) यह एक संग्रह ग्रन्थ' है। इसमें श्वेताम्बर एवं दिगम्बर परम्परा के नमस्कार मंत्र की साधना से संबंधित ग्रन्थों एवं ग्रन्थांशों का संकलन किया गया है। यह संकलन प्राकृत भाषा की कृतियों का है। इसके संग्रहकर्ता गणि धुरन्धरविजयजी, मुनि जम्बू- विजयजी एवं मुनि तत्त्वानन्दविजयजी हैं। इसमें निम्न ग्रन्थों एवं ग्रन्थांशों का संकलन हुआ है - १. भगवतीसूत्र का मंगलाचरणश्री अभयदेवसूरि विरचित भगवतीसूत्रवृत्ति २. सप्त स्मरणगत प्रथमनमस्कारमन्त्रस्मरण- श्रीसिद्धिचन्द्रगणिकृता व्याख्या, श्री हर्षकीर्तिसूरिकृत व्याख्या ३. श्री महानिशीथसूत्र का संदर्भ ४. चैत्यवन्दन महाभाष्य में नमस्कारसूत्र का उल्लेख ५. उपधानविधिस्त्रोत- श्रीमानदेवसूरि ६. वर्धमानविद्याविधि ७. नमस्कार नियुक्ति- श्री भद्रबाहुस्वामी ८. श्री षट्खण्डागम संदर्भ- श्री पुष्पदन्त- भूतबलि ६. अरिहंतनमस्कार आवलिका १०. सिद्धनमस्कार आवलिका ११. अरिहाणादि स्तोत्र (पंच परमेष्ठीनमस्कारस्तोत्र) १२. पंचनमस्कार चक्रोद्धारविधि- श्रीभद्रगुप्तस्वामी १३. घ्यान विचार १४. नमस्कारसारस्तवन- श्रीमानतुंगसूरिजी १५. नमस्कारव्याख्यानटीका- श्री मानतुंगसूरिजी १६. कुवलय मालासंदर्भ १७. कुवलयमाला के आधार पर परमेष्टी पदगर्भित मन्त्रादि १८. पंचनमस्कारफलस्तोत्र- श्री जिनचन्द्रसूरिजी १६. पंचनमस्कारफल २०. नमस्काररहस्यस्तवनश्री जिनदत्तसूरिजी २१. प्रश्नगर्भ पंचपरमेष्ठिस्तवन- श्रीजयचन्द्रसूरिजी २२. चतुर्विधध्यान स्तोत्र २३. पंचपरमेष्ठीनमस्कार महास्तोत्र- श्रीजिनकीर्तिसूरिजी २४. परमेष्ठीस्तव २५. श्रीगणिविद्यास्तोत्र २६. पंचमहापरमेष्ठीस्तव २७. पंचपरमेष्ठीजयमाला २८. नमस्कारलघुकुलक २६. भक्तपरिज्ञा प्रकीर्णक संदर्भ ३०. पंचसूत्र संदर्भ ३१. अंगविद्या प्रकीर्णक संदर्भ ३२. संबोधप्रकरण संदर्भ- श्री हरिभद्रसूरिजी ३३. प्रवचनसारोद्धारतट्टीका संदर्भ- मूलकर्ता-नेमिचन्द्रसूरि, टीकाकर्ता- सिद्धसेन सूरि ३४. चन्द्रकेवलिचरित्र संदर्भ- श्री सिद्धऋषि ३५. कथारत्नकोश संदर्भ- श्री देवभद्रसूरि ३६. ज्ञानसार संदर्भ- श्री पद्मसिंहमुनि ३७. श्री श्रीपालकथा के आधार से सिद्धचक्रयंत्रोद्धारविधि- श्री रत्नशेखरसूरि व्याख्या श्री क्षमाकल्याणगणि ३८. श्रीपाल- कथा से उद्धृत पंचपरमेष्ठी-पदाराधनाविधि - श्री रत्नशेखरसूरिजी ३६. उपदेशमाला संदर्भ ४०. प्राकृतद्वयाश्रयकाव्य संदर्भ- श्री हेमचन्द्रसूरिजी ४१. तं जयउ स्तवन संदर्भ- श्री जिनदत्तसरिजी ४२. सुदर्शनाचरित्र संदर्भ- श्री ' यह ग्रन्थ जैन साहित्य विकासमण्डल, ११२ छोडबंदर रोड़, इरलाब्रीज, विलेपारले, मुंबई ५७ से प्रकाशित है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001679
Book TitleJain Vidhi Vidhan Sambandhi Sahitya ka Bruhad Itihas Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith Shajapur
Publication Year2006
Total Pages704
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, Ritual, History, Literature, & Vidhi
File Size11 MB
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