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________________ 536/मंत्र, तंत्र, विद्या सम्बन्धी साहित्य देवेन्द्रसूरिजी ४३. श्राद्धदिनकृत्य संदर्भ ४४. चतुःशरणप्रकीर्णक संदर्भ अन्त में नमस्कार साधना सम्बन्धी कुछ यंत्र-चित्र एवं जाप की विभिन्न मुद्राएँ दी गई हैं। नमस्कारस्वाध्याय (संस्कृत विभाग, भा. २) यह एक संग्रह ग्रन्थ है।' इसमें श्वेताम्बर एवं दिगम्बर दोनों परम्परा के नमस्कारमंत्र की साधना से संबंधित ग्रन्थों एवं ग्रन्थांशों का संकलन किया गया है। इसके संग्रहकर्ता गणि धुरन्धरविजय, मुनि जम्बूविजय एवं मुनि तत्त्वानन्दविजय हैं। इसमें निम्न कृतियों के उल्लेख हैं १. अर्हन्नामसहस्रसमुच्चयश्री हेमचन्द्राचार्य २. आचारदिनकर- श्री वर्धमानसूरि ३. उपदेशतरंगिणी- श्री रत्नमंदिरगणि ४. ऋषिमण्डल- स्तवनयन्त्र- श्री सिंहतिलकसूरि ५. जिनपंजरस्तोत्रश्री कमलप्रभसूरि ६. जिनसहन- नामस्तवनम्- पं. आशाधर ७. तत्वार्थसारदीपकभट्टारक श्री सकलकीर्ति ८. तत्त्वानुशासन- श्री मन्नागसेनाचार्य ६. द्वात्रिंशद्वात्रिंशिका- उपाध्याय यशोविजय १०. धर्मोपदेशमाला- श्री जयसिंहसूरि ११. नमस्कारमाहात्म्यम् श्री सिद्धसेनसूरि १२. पंच- नमस्कृतिदीपक- श्रीसिंहनन्दि १३. पंचनमस्कृतिस्तुति १४. पंचपरमेष्ठि नमस्कारस्तव- श्री जिनप्रभसूरि १५. परमात्मपंचविंशतिका- श्री यशोविजयगणि १६. परमेष्ठिविद्यायन्त्रकल्प- श्री सिंहतिलकसूरि १७. मन्त्रराजरहस्य- श्री सिहंतिलकसूरि १८. मन्त्रसारसमुच्चय श्री विजयवर्णी १६. मातृकाप्रकरण- श्री रत्नचन्द्रगणि २०. मायाबीजकल्प- श्री जिनप्रभसूरि २१. लघुनमस्कारचक्रस्तोत्र- श्री सिंहतिलकसरि २२. वीतरागस्तोत्रश्री हेमचन्द्राचार्य २३. शक्रस्तव- सिद्धर्षि २४. श्राद्धविधिप्रकरण २५. श्री अभयकुमारचरित्र- श्री चन्द्रतिलकोपाध्याय २६. श्री जिनसहस्रनामस्तोत्रम्- श्री विनयविजयगणि २७. पंचपरमेष्ठिस्तव- अज्ञात २८. श्री सिद्धहेमचन्द्रशब्दानुशासन- श्री हेमचन्द्रसरि २६. श्री हरिविक्रमचरित- श्री जयतिलकसरि ३०. षोड़शक प्रकरणश्री हरिभद्रसूरि ३१. संस्कृतद्वयाश्रयमहाकाव्य- श्री हेमचन्द्राचार्य ३२. सिद्धभक्त्यादिसंग्रह- श्री पूज्यपाद ३३. सुकृतसागर- श्री रत्नमण्डनगणि और ३४. त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित- श्री हेमचन्द्राचार्य नवकारमहामन्त्रकल्प यह संकलित कृति हिन्दी भाषा में है। इसका सम्पादन चन्दनमलजी ' यह संग्रह कृति जैन साहित्य विकास मण्डल, बम्बई से प्रकाशित है। २ यह कृति वि.सं. १६६०, श्री सद्गुण प्रसारक मित्रमंडल छोटी सादड़ी (मेवाड़) से प्रकाशित Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001679
Book TitleJain Vidhi Vidhan Sambandhi Sahitya ka Bruhad Itihas Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith Shajapur
Publication Year2006
Total Pages704
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, Ritual, History, Literature, & Vidhi
File Size11 MB
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