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जैन विधि-विधान सम्बन्धी साहित्य का बृहद् इतिहास/511
संकलित एवं संशोधित की गई है। यह कृति' गुजराती में है। मूलपाठ संस्कृत में है। इसमें श्री शान्तिस्नात्रादिविधिसमुच्चय के दो भाग संग्रहित किये गये हैं। यह कृ ति प्रतिष्ठाविधि से सम्बन्ध रखती है।
इस ग्रन्थ के प्रारम्भ में पूर्वाचार्य विरचित नवस्मरणपाठ श्री गौतमस्वामी रास सह श्री ऋषिमंडलस्तोत्र अर्थ सहित दिया गया है। उसके बाद श्री शान्तिस्नात्रादिविधिसमुच्चय भा. १ के आधार से १. शान्तिस्नात्रादि पूजाओं में बोलने योग्य मन्त्राक्षर २. कुंभ स्थापना की विधि ३. दीपकस्थापना विधि ४. जवारारोपण विधि ५. कुंभ-दीपक-जवारारोपण में उपयोग सामग्री सूची ६. जलयात्रा विधि और उसकी सामग्री ७. नवग्रहपूजन विधि ८. सत्रहभेदी पूजा विधि सार्थ ६. नवग्रह दशदिक्पाल कोष्ठक १०. दशदिक्पाल पूजनविधि ११. अष्टमंगल पूजाविधि १२. नवग्रह- दशदिक्पाल-अष्टमंगल की पूजा सामग्री १२. वेदिकास्थापन विधि १३. दशदिक्पाल आहान की बृहद् विधि १४. श्री अष्टोत्तरी पूजा १५. श्री स्नात्रपूजा १६. श्री शान्तिस्नात्र विधि १७. श्री शान्तिमहापूजाविधि इत्यादि का निरूपण किया है।
___ श्री शान्तिस्नात्रविधिसमुच्चय भा. २ के आधार से १. अठारह अभिषेक की बृहद विधि २. ध्वजदंड प्रतिष्ठा विधि ३. ध्वजाआरोपण विधि (जिनालय की वर्षगांठ के दिन ध्वजा चढ़ाने की विधि) ४. कलशप्रतिष्ठा विधि ५. प्रासादअभिषेक विधि ६. गुरुमूर्ति एवं स्थापनाचार्य की प्रतिष्ठा विधि ७. परिकर की प्रतिष्ठा विधि ८. जिन मंदिर और उपाश्रय की खातमुहूर्त विधि ६. शिलास्थापन विधि १०. जिनबिंब प्रवेश विधि ११. प्रतिष्ठा विधि १२. द्वारोद्घाटन विधि १३. जीर्णोद्धार विधि आदि का उल्लेख हुआ है।
यह ध्यान रहे कि उपर्युक्त विधियों का प्रायः उल्लेख किसी न किसी प्रतिष्ठा विषयक अन्य कृतियों में भी हुआ है। शान्तिस्नात्रादिविधिसमुच्चयः (भाग २)
यह शान्तिस्नात्रादि विधिसमुच्चय का दूसरा भाग' है। इसके पहले प्रथम विभाग दो भागों में प्रकाशित हुआ है। उनमें प्रथम भाग (खंड) में कुंभस्थापना आदि विधान संकलित किये गये हैं तथा द्वितीय भाग में सिद्धचक्र महापूजन का
' यह ग्रन्थ श्री आदिनाथ मरुदेवा वीरामाता अमृत जैन पेढ़ी धारानगरी, नवागाम से प्रकाशित
' यह कृति वि.सं. २४८७ में श्री जैन साहित्यवर्धक सभा- शिरपुर (पश्चिम खानदेश) ने प्रकाशित की है।
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