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510/मंत्र, तंत्र, विद्या सम्बन्धी साहित्य
ग्रन्थ हैं। इस ग्रन्थ का अध्ययन करने से स्पष्ट होता हैं कि यह प्रतिष्ठा विधि विस्तार से लिखी गई है इसलिए इसमें मध्यम प्रतिष्ठा विधि का भी उल्लेख हुआ है। यह ग्रन्थ प्रत्यक्ष निरीक्षण के आधार पर लिखा गया भी प्रतीत होता है। प्रतिष्ठासारसंग्रह
यह कृति आचार्य वसुनन्दी ने लगभग ७०० श्लोकों में रची है। यह छ: विभागों में विभक्त है। इस कृति का उल्लेख पं. आशाधर ने जिनयज्ञकल्प में किया है। हमें यह ग्रन्थ उपलब्ध नहीं हो पाया है। टीका- इस पर स्वोपज्ञवृत्ति है। बिम्बध्वजदण्डप्रतिष्ठाविधि - यह रचना श्री तिलकाचार्य की है। बिम्बप्रवेशस्थापनाविधि - यह पंजाब के ज्ञान भंडार में मौजूद है। वेदी प्रतिष्ठा
यह दिगम्बर परम्परा की संकलित कृति है। जिनप्रतिष्ठा के अवसर पर यदि विशाल मंडप पूर्व से निर्मित हो तो सभी महोत्सवादि कृत्य वहाँ किये जाने चाहिये, अन्यथा अलग से मंडप बनवाकर वेदी प्रतिष्ठा करने के बाद ही प्रतिष्ठा सम्बन्धी कृत्य किये जाने चाहिये। प्रस्तुत कृति में निर्देश है कि यदि पृथक् रूप से वेदी प्रतिष्ठा करनी हो, तो कम से कम तीन दिन का उत्सव जरुर करना चाहिये। इसमें मुख्य रूप से वेदी प्रतिष्ठा की विधि बतायी गई है। यह बात, कृति नाम से भी स्पष्ट हो जाती है।
सामान्यतया इस पुस्तक में सकलीकरण, घटयात्रा, अभिषेक, मंडपप्रतिष्ठा, इन्द्र प्रतिष्ठा, महर्षिउपासना, अंकुरोपण, मृतिकानयन, झंडारोहण, वेदीप्रतिष्ठा, मंदिर प्रतिष्ठा, कलशारोपण, ध्वजदंडस्थापन, ध्वजारोहण आदि विधान दिये गये हैं। इसके साथ ही प्रतिष्ठादि के समय जाप करने योग्य मन्त्र, अखण्डदीपप्रज्वलनमन्त्र, मंगल कलशस्थापनामन्त्र, यन्त्रप्राणप्रतिष्ठामन्त्र आदि तथा अंकुरारोपणयन्त्र भी दिया गया है। निःसंदेह प्रतिष्टाचार्य एवं विधानाचार्य के लिए यह उपयोगी रचना है। शान्तिस्नात्रादिविधिसमुच्चय (भाग १-२)
यह कृति तपागच्छीय श्री भुवनभानुसूरि सन्तानीय श्री वीरशेखरसूरि द्वारा
२ प्रका. संदीप शाह, ७६० सेवापथ, लालजी सांड का रास्ता, मोदीखाना, जयपुर।
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