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________________ 502/मंत्र, तंत्र, विद्या सम्बन्धी साहित्य प्रदान, अष्टमंगल का पूजन, आदि कृत्यों का उल्लेख हुआ है। चौथा विभाग- इस विभाग में दो प्रकार की मांगलिक पूजन विधि का निरूपण किया गया है। १. लघुसिद्धचक्रपूजनविधि- इस विधान के अन्तर्गत जिनशासनदेवियों का आहान एवं उनका पूजन, चौसठ इन्द्रों का आहान एवं पूजन, बाकुला ऊपर वासदान, दशों दिशाओं में बाकुला प्रक्षेपण, आत्मरक्षाविधान, अंगन्यास, करन्यास, नवपद का मंडल, अरिहंतादि नौ पदों का विधिवत् पूजन एवं अष्टप्रकारी पूजन आदि कृत्य आवश्यक माने गये हैं। २. लघुबीशस्थानकपूजनविधि- इस विधि में बीसस्थानक पट्ट ऊपर वासदान, बीसस्थानक मांडले का आलेखन शांतिघोषणा, आत्मरक्षा, अरिहंत आदि बीसपदों का पूजन, इत्यादि कृत्य किये जाने का निर्देश है। पाँचवा विभाग- यह विभाग च्यवनकल्याणकविधि से सम्बन्धित है। इसमें आत्मरक्षा विधान, दिशाबंध, आचार्य भगवंत के पहनने योग्य अलंकारों का अभिमंत्रण, इन्द्र एवं इन्द्राणी की स्थापना, माता-पिता की स्थापना, अंगन्यास, करन्यास, गुरूपूजन, धर्माचार्यपूजन, सिंहासनादिक पूजन, नूतनबिंबो ऊपर वासदान, वासचूर्णयुत दूध से बिंब का सर्वांग विलेपन, सुवर्ण कलश में बिंबस्थापन, बिंब ऊपर वासदान, मातृकान्यास, कुर्णोपदेश, मस्तक ऊपर वासदान, आशीषमंत्र, कलश तथा नूतन बिम्बों ऊपर वस्त्राच्छादन, चौदह स्वप्नदर्शन, देववंदन एवं क्षमापना आदि कृत्यों का विवेचन किया गया है। छठा विभाग- इस विभाग में जन्मकल्याणकविधि का प्रतिपादन है। इसमें आत्मरक्षा, अंगरक्षा, शुचिकरण, सकलीकरण, बलिबाकुलाप्रदान, नूतन बिंबो पर कुसुमांजलि, तर्जनीमुद्रा पूर्वक रौद्र दृष्टि जलाच्छोटन, दिग्बंधन, सप्तधान्यवृष्टि, जिन जन्म विधान, छप्पनदिक्कुमारिकाओं के द्वारा कृत महोत्सव, कदलीधर रचना, रक्षापोटली निर्माण विधि, रक्षापोटलीबंधन, जलदर्शन, शुभाशीष, इन्द्राणी के हाथ से प्रभुजी का तिलक, शक्रसिंहासनकंपन, सुघोषाघंटानाद, मेरूपर्वत ऊपर गमन, पंचामृत के २५० अभिषेक, नूतनबिंबो की अष्टप्रकारी पूजा, अष्टमंगलआलेखन, आरती-मंगलदीपक, देववंदन, बत्तीसकोटि सुवर्णवृष्टि, नूतनबिंबो के हाथ में रक्षापोटली इत्यादि का उल्लेख किया गया है। सातवाँ विभाग- इसमें 'अढ़ारअभिषेक-ध्वजदंडकलशाभिषेकविधि' का वर्णन है। इस सम्बन्ध में निम्नलिखित कृत्यों को सम्पन्न करने का निर्देश है। वे कृत्य ये हैं - विविध प्रकार की औषधियों पर वासक्षेपप्रदान, भूमिशुद्धि, शुचिविद्या, बलिपर वासक्षेपप्रदान, दशदिक्पाल का आगन, देववंदन, ध्वजदंड को कुसुमांजलि, कलश को कुसुमांजलि, जलाच्छोटन, सप्तधान्यवृष्टि, अठारह प्रकार की अभिषेक Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001679
Book TitleJain Vidhi Vidhan Sambandhi Sahitya ka Bruhad Itihas Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith Shajapur
Publication Year2006
Total Pages704
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, Ritual, History, Literature, & Vidhi
File Size11 MB
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