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________________ जैन विधि-विधान सम्बन्धी साहित्य का बृहद् इतिहास/499 अधिवासना मन्त्र २. सहजगुणस्थापना मन्त्र ३. परिकर प्रतिष्ठा मन्त्र आदि। ४. निर्वाणकलिका में प्रतिष्ठापयोगी ६३ मुद्राएँ दी गई हैं उनमें से २८ मुद्राएँ इसमें ली गई है। ५. ६८ प्रकार के बीज रूप मन्त्राक्षर दिये गये हैं। ६. जिनमन्दिर सम्बन्धी ८४ आशातनाओं का वर्णन किया गया है। इसके साथ ही इसमें दो महायन्त्र दिये गये हैं उनमें एक लघुनन्द्यावर्त्तपूजन से सम्बन्धित है और दूसरा श्रीदेवी की प्रतिष्ठा से सम्बन्धित है। ये मन्त्र आचारदिनकर नामक ग्रन्थ के आधार पर निर्मित किये गये हैं ऐसा इसमें उल्लेख है। इसके अतिरिक्त भगवान महावीर की जन्मकुंडली, श्रीदेवी पूजन के सन्दर्भ में त्रिकोणकुंड की रचना, नूतनबिंबों को बिराजमान करने योग्य वेदिका आदि के कोष्ठक भी उल्लिखित हैं। इस कृति का अवलोकन करने से फलित होता है कि यह प्रतिष्ठाकल्प कई दृष्टियों से परम उपयोगी है। इसमें अन्य-अन्य आवश्यक सामग्री का जो संकलन किया गया है वह अपने आप में अमूल्य है। विधिकारकों को इस संस्करण का एकबार अवश्य अवलोकन कर लेना चाहिये। इस कृति में उल्लिखित कई सूचनाएँ एवं क्रमबद्ध दी गई जानकारियाँ उनके लिए अतीव उपयोगी बन सकती है। प्रतिष्ठाकल्प-अंजनशलाका-प्रतिष्ठादिविधि (संशोधितपाठ-विशिष्टविधान तथा विविध चित्रों सहित) ___यह कृति' मूलतः महोपाध्याय सकलचंद्रगणि की है। इसके पूर्व सकलचन्द्रगणि कृत प्रतिष्ठाकल्प भा.१ एवं भा.२ प्रकाशित हो चुके हैं। उसके बाद उसके एक संशोधित पाठ का और प्रकाशन हुआ है। इसके पश्चात् सकलचन्द्रगणिकृत 'प्रतिष्ठाविधि' का एक और नवीन संस्करण प्रकाश में आया है जो संशोधितपाठ-विशिष्टविधान तथा विविधचित्रों सहित है। मेरी दृष्टि से अद्यपर्यन्त प्रतिष्ठा सम्बन्धी प्रतियों में यह नवीन संस्करण सर्वाधिक विस्तृत एवं क्रमबद्ध है। यह कृति मूलतः संस्कृत भाषा में है। इसमें मंत्रों एवं श्लोकों का प्राधान्य रहा हुआ है। इस संस्करण में विधि-विधानों का स्पष्टीकरण गुजराती भाषा में हुआ है। इस का संशोधन एवं सम्पादन तपागच्छीय नेमिसूरिसमुदाय के सोमचंद्रसूरि ने वर्तमान में प्रचलित एवं प्रवर्तित 'प्रतिष्ठाविधि' को ध्यान में रखते ' यह संस्करण श्री रांदेर रोड जैन संघ, अडाजण पाटीया, रांदेर रोड, सूतर की ओर से प्रकाशित हुआ है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001679
Book TitleJain Vidhi Vidhan Sambandhi Sahitya ka Bruhad Itihas Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith Shajapur
Publication Year2006
Total Pages704
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, Ritual, History, Literature, & Vidhi
File Size11 MB
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