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________________ 472/मंत्र, तंत्र, विद्या सम्बन्धी साहित्य यहाँ शान्तिनाथ पूजा विधान का स्वरूप संक्षेप में इस प्रकार हैइस विधान में कुल चार वलय की पूजा होती हैं- प्रथम वलय की पूजा में ६ पद्यों, द्वितीय वलय की पूजा में १७ पद्यों तृतीय वलय की पूजा करते समय ३४ पद्यों द्वारा अर्घ्य दिया जाता है और चतुर्थ वलय की पूजा ६६ पद्यों द्वारा की जाती है। शान्तिस्नात्रअढार (अठारह) अभिषेकादि-विधि समुच्चय यह एक संकलित की गई उपयोगी कृति है।' इस कृति का सम्पादन तपागच्छीय हेमचन्द्रसूरि के शिष्य गणि गुणशीलविजय ने किया है। इस कृति के मूल पाठ संस्कृत में हैं और अर्थ एवं विवेचन गुजराती में है। यह उल्लेखनीय है कि अढ़ारह-अभिषेक एवं शान्तिस्नात्र आदि के विधि-विधान से सम्बन्धित कई ग्रन्थ प्रकाशित हो चुके हैं तथापि यह संकलित रचना विशेष प्रयोजन से निर्मित हुई प्रतीत होती है। प्रस्तुत कृति में कुछ विधि-विधान ऐसे भी दिये गये हैं जो बहुत कम उपलब्ध होते हैं। इस कृति का अवलोकन करने से यह भी ज्ञात होता है कि इसकी मुद्रण शैली स्पष्ट और विधिकारकों की दृष्टि से परम उपयोगी बनी है। इसमें संकलित विधि-विधानों का सामान्य अर्थ और परिचय भी दिया गया है जो अन्यत्र दृष्टिगत नहीं होता है। ___ हम प्रस्तुत ग्रन्थ में उल्लिखित विधि-विधानों का नाम निर्देश मात्र कर रहे हैं। इसमें कुल बीस प्रकार की विधियाँ कही गई हैं वे निम्न हैं - १. कुभस्थापना विधि २. दीपकस्थापना विधि ३. जवारारोपण विधि ४. नवग्रह-पूजन विधि ५. दशदिक्पाल पूजनविधि ६. अष्टमंगल पूजनविधि ७. दशदिक्पाल आहान बृहद् विधि ८. जलयात्रा विधान ६. जलानयन विधि १०. संक्षिप्त पाटला पूजन विधि ११. श्री शान्तिस्नात्र विधि १२. अष्टोत्तरशत (बृहत्) स्नात्र विधि १३. श्री अष्टादश अभिषेक विधि १४. खातमुहूर्त विधि १५. बारसाख-स्थापना विधि १६. शिलास्थापन- कूर्मप्रतिष्ठा विधि १७. श्री जिनबिंबप्रवेश विधि १८. मन्दिर की वर्षगाँठ के दिन ध्वजाआरोपण करने की विधि १६. तीर्थयात्राशान्तिकम् २०. श्री तीर्थमालारोपण विधि। संक्षेपतः इस कृति में संकलित किये गये विधि-विधान विशेष प्रचलन में है। और इसमें उपयोगी सामग्री का अच्छा संग्रह हुआ है। ' यह कृति श्री अमृत जैन साहित्यवर्धक सभा, मुंबई' वि.सं. २०५५ में प्रकाशित की है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001679
Book TitleJain Vidhi Vidhan Sambandhi Sahitya ka Bruhad Itihas Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith Shajapur
Publication Year2006
Total Pages704
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, Ritual, History, Literature, & Vidhi
File Size11 MB
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