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जैन विधि-विधान सम्बन्धी साहित्य का बृहद् इतिहास/467
श्री विजयलक्ष्मीसूरिकृत २. एकवीश प्रकार की पूजा- सकलचंद्रउपाध्यायकृत ३. सत्रह-भेदी की पूजाविधि एवं सत्रहप्रकारी पूजा- सकलचंद्रउपाध्यायकृत ४. सत्रहभेदी पूजा- मेघराजमुनिकृत ५. नवपद की पूजाविधि एवं नवपद पूजायशोविजय उपाध्यायकृत ६. नवपद पूजा- पद्मविजयजीकृत ७. नंदीश्वरद्वीप पूजाधर्मचंद्रजीकृत ८. अष्टापद की पूजाविधि- दीपविजयजीकृत ६. पंचतीथी की पूजाविधि एवं पंचतीथी पूजा- उत्तमविजयजीकृत चतुर्थ भाग- इसमें छः प्रकार की पूजाओं का उल्लेख हैं। उनमें १. अष्टप्रकारी पूजा २. नवपद पूजा ३. सत्रहभेदी पूजा ४. बीशस्थानक पूजा- ये चार पूजाएँ आत्मारामजी कृत हैं। ५. वास्तुक पूजा- बुद्धिसागरजीकृत है। और ६. अष्टप्रकारी पूजा- कुंवरविजयजीकृत है। इस भाग के अन्त में अष्टप्रकारीपूजा के दोहे, नवअंगपूजा के दोहे, अढ़ीसौं अभिषेक एवं आरती आदि भी संग्रहित हैं। पंचम भाग- यह भाग पांच प्रकार की पूजाओं से युक्त है। उनमें १. पंचकल्याणक पूजा- विजयराजेन्द्रसूरि रचित है, २. नेमिनाथ प्रभु की १०८ प्रकारी पूजाहंसविजयजीकृत है। ३. पंचतीर्थ पूजा- वल्लभविजय विरचित है ४. दशविध यतिधर्म पूजा- गंभीरविजयजीकृत है ५. दादागुरुदेव पूजा- मुनि रामऋद्धिसार कृत
षष्टम भाग- इस भाग में बुद्धिसागरजी कृत महावीरजन्मकल्याणक पूजा दी गई
सप्तम भाग- इस भाग के अन्तर्गत अहमदाबाद एवं पाटण (गुजरात) में बने हुए जिनालयों के मूलनायक तथा जिनालयों का इतिहास वर्णित है।
स्पष्टतः यह कृति पूजा करने वाले एवं पूजा कराने वाले आराधकों की दृष्टि से बहुमूल्य है। विविधपूजासंग्रह
यह एक संकलित कृति हिन्दी पद्य में निबद्ध है।' इसमें मुख्य रूप से विजयानन्दसरि, वल्लभसरि एवं हंसविजयजी द्वारा रची गई पूजाएँ उल्लिखित हैं। यह कृति रचनाकारों की अपेक्षा से तीन भागों में विभक्त है। इनमें कुल २६ पूजाएँ विधिसहित दी गई हैं।
विभागीकरण के आधार पर इसकी विषयसूची इस प्रकार है -
' यह पुस्तक जेसंगभाई छोटालाल सुतरीयालूसाबाड़ा, अहमदाबाद ने, वी.सं. १९८४ में प्रकाशित
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