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जैन विधि-विधान सम्बन्धी साहित्य का बृहद् इतिहास / 459
६. श्री चन्द्रप्रभ जिन पूजा रामचन्द्रकृत १०. श्री शान्तिनाथजिन पूजाबख्तावरसिंहकृत ११. श्री पार्श्वनाथजिन पूजा - बख्तावरसिंहकृत १२. श्री महावीरजिन पूजा १३. श्री सप्तर्षि पूजा १४. श्री निर्वाणक्षेत्र पूजा १५. पंच बालयति पूजा १६. श्री पद्मप्रभजिन पूजा १७. श्री चन्द्रप्रभ जिनपूजा १८. श्री वासुपूज्यजिन पूजा १६. श्री कुन्थुनाथजिन पूजा २०. श्री अरहनाथजिन पूजा २१. श्री मल्लिनाथजिन पूजा २२. श्री नेमिनाथ जिन पूजा २३. श्री सोलहकारण पूजा २४. श्री पंचमेरु पूजा २५. श्री नन्दीश्वरद्वीप पूजा २६. श्री दशलक्षणधर्म पूजा २७. श्री रत्नत्रय पूजा २८. श्री सम्यग्दर्शन पूजा २६. श्री सम्यग्ज्ञान पूजा ३०. श्री सम्यक्चारित्र पूजा ३१. श्री क्षमावाणी पूजा ३२. श्री निर्वाणक्षेत्र पूजा ( बृहद् ) ३३. श्री ऋषिमण्डल पूजा ३४. श्री अकंपनाचार्य पूजा ३५. श्री विष्णुकुमारमुनि पूजा ३६. श्री रविव्रत पूजा ३७. श्री नवग्रह पूजा ३८. श्री चतुर्विंशति जिन पूजा इसके साथ शांतिपाठ की शास्त्रोक्त विधि, विसर्जन विधि, दीपावली पूजन विधि, नई बहियों की मुहूर्त विधि, सरस्वती पूजा विधि आदि भी वर्णित है। उक्त पूजाएँ दिगम्बर परम्परानुसार रची गई हैं।
पूजावली
यह कृति मूलतः हिन्दी पद्य में रचित है।' इसमें पृथक्-पृथक् आचार्यों एवं मुनियों द्वारा विरचित पूजाओं का संग्रह किया गया है। ये पूजाएँ प्रायः खरतरगच्छीय आचार्य एवं मुनियों की रची हुई हैं। उन पूजाओं के नाम ये हैं १. स्नात्र पूजा - श्री देवचन्द्रकृत २. अष्टप्रकारी पूजा - श्री देवचन्द्रकृत ३. सत्रहभेदी पूजा- श्री साधुकीर्ति मुनि कृत ४. अट्ठाईसलब्धिपूजा - लूंकागच्छीय रूपऋषिजीकृत ५. नवपद पूजा ६. विमलाचल पूजा - मुनि सुमति मण्डन रचित। ७. नन्दीश्वरद्वीप पूजा - समयसुंदर के शिष्य पाठक मुनिशिवचंदकृत । ८. ऋषिमण्डल पूजा - मुनि शिवचंदकृत । ६. समेतशिखर पूजा - मुनि बालचंद्रकृत १०. पैंतालीस आगम पूजा - मुनि ऋषिसारकृत ११ विंशतिस्थानक पूजा - जिनहर्ष सूरिकृ त १२. एकविंशतिविद्या पूजा- पाठक शिवचंदकृत १३. दादा गुरुदेव की अष्ट प्रकारी पूजा विधि १४. पंचकल्याणक पूजा आदि।
इसमें साथ ही प्रभु की आरती, दादागुरु की आरती, नवपद की आरती आदि भी दी गई हैं।
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यह पुस्तक वि.सं. १६३२ में मुर्शिदाबाद, अजीमगंज से प्रकाशित हुई है।
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