________________
450 / मंत्र, तंत्र, विद्या सम्बन्धी साहित्य
पूजाओं का संग्रह किया गया है। यह कृति हिन्दी पद्य में है। इसमें कुल चौदह प्रकार की पूजाएँ विधिपूर्वक दी गई हैं अर्थात् प्रत्येक पूजा को प्रारम्भ करने के पूर्व उसकी विधि दिखायी गई है उसके बाद पूजा की ढ़ाले दी है ऐसा व्यवस्थित रूप बहुत कम ही देखने को मिलता है ।
प्रस्तुत कृति में ये पूजाएँ उल्लिखित हुई हैं- १. स्नात्र पूजा २. अष्टप्रकारी पूजा ३. पंचपरमेष्ठि पूजा ४. नवपद पूजा ५. पंचकल्याणक पूजा ६. पंचज्ञान पूजा ७. सम्यक्त्व सप्तषष्ठि (६७) भेद की पूजा ८. बारह भावनाओं की पूजा ६. सत्तरभेदी पूजा १०. बीशस्थानक पूजा ११. श्री महावीर पंचकल्याणक पूजा और १४. एकवीश प्रकारी पूजा ।
अन्त में चौबीस तीर्थंकरों की आरती, मंगलपाठ, पद्मावती देवी की आरती एवं आरती-मंगलदीपक करने की विधि दी गई हैं। '
जैनेन्द्रयज्ञविधि
प्रस्तुत नाम की दो रचनाएँ मिलती है एक रचना के कर्त्ता विद्यानन्दी के शिष्य श्रुतसागर है। दूसरी रचना के कर्ता मुनि अभयनन्दी है। मुख्यतया यह विधान दिगम्बर परम्परा में प्रचलित है।
जैनपूजापद्धति
यह रचना दिगम्बर मुनि गुणचन्द्र की है। यह कृति जैनपूजा विधि से सम्बन्धित है।
जैनपूजाविधि
यह रचना भी जैनपूजाविधि से सम्बद्ध है। इसकी कोई विशेष जानकारी उपलब्ध नहीं हुई है।
जैनपूजांजलि
यह कृति पूजा-विधि से सम्बन्धित है। इसमें कवि राजमलजी पवैया द्वारा रची गई ३८ पूजाओं का संग्रह किया गया है। ये पूजाएँ हिन्दी पद्य में है । इन पूजाओं की रचना दिगम्बर आम्नाय के अनुसार हुई है।
9
यह संग्रह कृति श्री माणेकलाल फूलचंद, कीका भटनी पोल, अहमदाबाद से, सन् १८२० में प्रकाशित हुई।
२ जिनरत्नकोश पृ. १४५-४६
३
यह पुस्तक दि. जैन स्वाध्याय मण्डल, सहारनपुर (उ. प्र. ) से प्रकाशित है।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org