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जैन विधि-विधान सम्बन्धी साहित्य का बृहद् इतिहास/449
द्यानतराय ६. क्षमावाणी पूजा- कविमल्ल ७. सरस्वती पूजा- पं. द्यानतराय ८. रक्षाबन्धनपर्व पूजा- कुमरेश ६. श्रुतपंचमीपर्व पूजा- पं. राजमल पवैया १०. दीपावली पूजा- पं. राजमल पवैया
इस कृति में तीर्थंकर आदि सम्बन्धी २३ पूजाओं का भी उल्लेख हुआ है उन पूजाओं के नामोल्लेख इस प्रकार है - १. श्री आदिनाथजिन पूजा- वृन्दावनदास २. श्री आदिनाथजिनपूजा- पं. जिनेश्वर दास ३. श्री पदमप्रभू पूजा- पं. छोटेलाल ४. श्री चन्द्रप्रभजिन पूजा- कवि मुंशी ५. श्री चन्द्रप्रभजिन पूजा- वृन्दावनदास ६. श्री शीतलनाथजिनपूजा- मनरंगलाल ७. श्री वासुपूज्यजिन पूजा- वृन्दावनदास ८. श्री अनन्तनाथजिन पूजा- मनरंगलाल ६. श्री शान्तिनाथजिन पूजा- वृन्दावनदास १०. श्री शान्तिनाथजिन पूजा- बख्तावरसिंह ११. श्री कुन्थुनाथजिन पूजा- बख्तावरसिंह १२. श्री नेमिनाथजिन पूजा- मनरंगलाल १३. श्री पार्श्वनाथजिन पूजा- बख्तावरसिंह १४. श्री पार्श्वनाथ (रविव्रत) जिन पूजाब्र. रवीन्द्र जैन १५. श्री अहिच्छत्रा पार्श्वनाथ पूजा- कल्याणकुमार जैन १६. रविव्रत पूजा १७. श्री वर्द्धमानजिन पूजा- वृन्दावनदास १८. श्री चाँदनपुर महावीरस्वामी पूजापूरनमल १६. पंचबालयतिजिन पूजा- ब्र. रवीन्द्र जैन २०. श्री बाहुबलीजिन पूजापं. पन्नालाल २१. सप्तर्षि पूजा- मनरंगलाल २२. सम्मेदशिखर पूजा- पं. जवाहरदास २३. निर्वाणक्षेत्र पूजा- पं. द्यानतराय
इसमें स्वाध्याय पाठ, स्तुति-स्तोत्र पाठ, आरती, गीत, भावना आदि का भी संग्रह किया गया है तथा कुछ जाप्य मन्त्र और जाप विधियाँ भी कही गई हैं। जिनेन्द्र पूजन
यह रचना प्रायः हिन्दी गद्य में है। इसके लेखक शिवचरणलाल जैन है। यह पुस्तक दिगम्बर परम्परा में मान्य पूजाविधि का सम्यक् स्वरूप प्रस्तुत करती है।
सामान्यतया इसमें पूजा क्या और क्यों? देव, गुरु, धर्म का स्वरूप, पूजक, पूजा, पूजा के भेद, पूजाविधि, वन्दनाविधि, देवदर्शन विधि, अभिषेक का महत्त्व, पूजन के अंग, पूजन का फल इत्यादि का निरूपण हुआ है। साथ ही तत्सम्बन्धी शास्त्र उद्धरण भी दिये गये हैं।' जिनेन्द्रपूजासंग्रह
इस कृति में तपागच्छीय वाचनाचार्य श्री माणिक्यसिंहसूरि विरचित
' यह पुस्तक श्री भारतवर्षीय दिगम्बर जैन महासभा, नन्दीश्वर फ्लोर मिल, ऐशबाग, लखनऊ से प्रकाशित है।
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