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________________ 448 / मंत्र, तंत्र, विद्या सम्बन्धी साहित्य जिनस्नात्रविधि का प्रारम्भ करते हुए क्रमशः धूप करना, जिनबिंब का जल, घृत एवं दुग्ध द्वारा स्नपन करना, पुनः धूप खेना, फिर दधि द्वारा अभिषेक करना, पुनः धूप को उद्घाटित करना, जल द्वारा स्नपन क्रिया करना, चन्दन का विलेपन करना, चन्दन-कुंकुम युक्त जल द्वारा स्नपन करना, पुष्प का आरोपण करना, लवण उतारना, आरती उतारना, मंगलदीपक करना, बलि प्रक्षेपण करना इत्यादि विधान कहे गये हैं। मूलतः ये कृत्य स्नात्रविधि के सन्दर्भ में उल्लिखित हुये हैं। जिनपूजाप्रदीप इसके सम्बन्ध में कोई सूचना दृष्टिगत नहीं हुई है। किन्तु इसमें 'जिनपूजाविधि' का वर्णन हुआ है ऐसा प्रतीत होता है । जिनयज्ञकल्प इसकी रचना पं. आशाधरजी ने वि. सं. १२८५ में की है। इसे प्रतिष्ठाकल्प या प्रतिष्ठासारोद्धार भी कहते हैं। इसमें आचार्य वसुनन्दी रचित 'प्रतिष्ठासारसंग्रह' नाम की कृति का उल्लेख हैं। 'प्रतिष्ठासारोद्धार' नाम से इस कृति' का संक्षिप्त परिचय अलग से दिया गया है। जिनवर अर्चना यह संग्रह कृति है।' इसका संकलन डॉ. देवेन्द्रकुमार शास्त्री ने किया है। इसमें नित्य, नैमित्तिक एवं तीर्थंकर आदि सम्बन्धी पूजा-विधानों का उल्लेख हुआ है। ये सभी पूजाएँ हिन्दी पद्य में रचित हैं। इसके संग्रहकर्त्ता ने नित्य सम्बन्धी ग्यारह पूजाएँ कही है, उनके नाम निम्न है- १. देवशास्त्र - गुरूपूजा - पं. द्यानतरायकृत २. देव- शास्त्र - गुरु पूजा ( युगल ) ३. समुच्चय पूजा - ब्र. सरदारमल सच्चिदानन्दकृत ४. तीस चौबीस पूजा - पं. भानमलकृत ५. बीसतीर्थंकर पूजापं. द्यानतरायकृत ६. सीमन्धरतीर्थंकर पूजा - पं. हुकुमचन्दभारिल्लकृत ७. सिद्ध पूजा - पं. द्यानतरायकृत ८ सिद्धचक्र पूजा - हीराचन्दकृत ६. चौबीस जिनपूजावृन्दावनदासकृत १०. चौबीसी पूजा - कुमरेशकृत ११ पंचपरमेष्ठी पूजा - पं. राजमल पवैयाकृत इसमें नैमित्तिक सम्बन्धी दस पूजाएँ बतलायी गई हैं वे निम्न हैं१. पंचमेरु पूजा - पं. द्यानतराय २. नन्दीश्वर पूजा - पं. द्यानतराय ३. सोलहकारण पूजा- पं. द्यानतराय ४. दशलक्षणधर्म पूजा - पं. द्यानतराय ५. रत्नत्रय पूजा - पं. यह कृति मनोहर शास्त्री ने वि. सं. १६७४ में प्रकाशित की है। २ यह कृति भारतीय ज्ञानपीठ - नयी दिल्ली से प्रकाशित है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001679
Book TitleJain Vidhi Vidhan Sambandhi Sahitya ka Bruhad Itihas Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith Shajapur
Publication Year2006
Total Pages704
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, Ritual, History, Literature, & Vidhi
File Size11 MB
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