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________________ 398/योग-मुद्रा-ध्यान सम्बन्धी साहित्य प्राणायाम है। प्राणायाम से रक्त एवं स्नायुमण्डल का शोधन होता है। रक्त में आये दोष प्राणायाम से विशुद्ध होते हैं। प्राणायाम केवल श्वास और निश्वास के नियमन का ही प्रयोग नहीं है, अपितु मन और इन्द्रियों में संयम स्थापित कर चैतन्य के द्वार उद्घाटित करता है। प्राणायाम का फेफडों पर सीधा असर होता है। विधिवत् प्राणायाम की क्रिया से फेफड़े अधिक शुद्ध वायु ग्रहण करते हैं। सामान्यतः एक व्यक्ति एक मिनट में १६ से २२ तक श्वास-प्रश्वास करता है। श्वास-प्रश्वास के समय हम जितने जागरूक या होश में होते हैं, श्वास का परिणाम उतना ही लाभदायक होता है। प्राणायाम की प्रक्रिया में श्वास की मात्रा का निरोध करना ही मुख्य है। श्वास जितना गहरा और लम्बा होता है फेफड़ों को फैलाने और रक्त शोधन के कार्य में उतनी ही सहायता मिलती है। प्राणायाम का शरीर और मन पर प्रभाव- प्राण जीवन-यात्रा का आवश्यक तत्त्व है। भोजन और पानी शरीर धारण करने के लिए अवश्य अपेक्षित है किन्तु प्राण के बिना तो जीवन का अस्तित्व ही नहीं रह सकता है। प्राण सततप्रवाही जीवन-शक्ति है। प्राणवायु-पूरक, रेचक और कुंभक से सक्रिय होता है। प्राणायाम की सामान्य प्रक्रिया - प्राणायाम की क्रिया में स्थान, समय, आसन और विधि का ध्यान रखना अत्यावश्यक है। प्राणायाम का अभ्यास शांत, स्वच्छ और खुले स्थान में करना चाहिए। सूर्योदय के आधा घण्टा पूर्व एवं पश्चात् करना चाहिए। यह प्राणायाम के लिए यह उत्तम समय माना गया है। प्राणायाम भोजन के दो घंटे तक नहीं करना चाहिए। सामान्यतः प्राणायाम क्रिया आँखे बन्द करके करनी चाहिए। प्राणायाम में पूरक, रेचक और कुंभक तीन क्रियाएँ होती हैं। श्वास को अन्दर ले जाना पूरक है, श्वास को बाहर छोडना रेचक और श्वास को रोकना कुंभक है। प्राणायाम के परिणाम - मुनि किशनलालजी का कहना है कि प्राणायाम से श्वासप्रश्वास की क्रिया पर नियंत्रण होता है। श्वास-प्रश्वास की क्रिया पर नियंत्रण करने से प्राण शक्ति पर नियंत्रण होने लगता है, जिससे व्यक्ति अकल्पित-अवाच्य घटनाओं का साक्षात् करने लगता है। प्राणायाम प्राण को निर्मल बनाता है। ऊर्जा शक्ति को ऊर्ध्वगामी बनाता है। साधक को ऊर्ध्वरता बनाता है। चित्त को एकाग्र करता है। एकाग्रता से सहज ही समस्त कार्यों में सफलता मिलने लगती है। परिणामतः मंत्र-तंत्र और अन्य सिद्धियाँ उसे शीघ्र उपलब्ध हो जाती हैं। निष्कर्षतः प्राणायाम की साधना सर्वांगीण और सर्वोत्तम है। इस कृति में वर्णित प्राणायाम के नामोल्लेख ये हैं - Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001679
Book TitleJain Vidhi Vidhan Sambandhi Sahitya ka Bruhad Itihas Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith Shajapur
Publication Year2006
Total Pages704
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, Ritual, History, Literature, & Vidhi
File Size11 MB
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