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________________ दस भेदों का उल्लेख ३. आलोचना प्रायश्चित्त किसके पास, कब, कैसे, क्यों? ४ ४. अप्रशस्त समिति, गुप्ति के लिए प्रायश्चित्त का विधान ५. गुरु के प्रति उत्थानादि विनय न करने पर प्रायश्चित्त का उल्लेख ६. प्रतिक्रमणादि दस प्रकार के प्रायश्चित्त का विषय, परिमाण, कब और क्यों ? ७. वस्त्रादि के स्खलित होने पर नमस्कार महामंत्र का चिंतन अथवा सोलह, बत्तीस आदि श्वासोच्छ्वास का कायोत्सर्ग विधान। ८. प्राणिवध आदि में सौ श्वासोच्छ्वास का कायोत्सर्ग विधान ६. प्राणिवध आदि में २५ श्लोकों का ध्यान तथा स्त्रीविपर्यास में १०८ श्वासोच्छ्वास के कायोत्सर्ग का प्रायश्चित्त विधान। १०. मासिक आदि विविध प्रायश्चित्तों का विधान ११. गीतार्थ के दर्प प्रतिसेवना की प्रायश्चित्त विधि १२. आचार्य आदि की चिकित्साविधि १३. कल्प और व्यवहार भाष्य में प्रायश्चित्त तथा आलोचना विधि का भेद । १४. विहार- विभाग आलोचना विधि १५. आलोचना विधि १६. उपसंपद्यमान के प्रकार तथा आलोचना विधि १७. दिनों के आधार पर प्रायश्चित्त की वृद्धि का विधान १८. मुनि को गण से बहिष्कृत करने सम्बन्धी दस कारण १६. कलह आदि करने पर प्रायश्चित्त का विधान २०. एकाकी-अपरिणत आदि दोषों से युक्त के लिए प्रायश्चित्त का विधान । २१. शिष्य, आचार्य तथा प्रतीच्छक के प्रायश्चित्त की विधि २२. आचार्य और शिष्य में पारस्परिक परीक्षा विधि २३. आचार्य द्वारा शिष्य की परीक्षा विधि २४. वाचना के लिए समागत अयोग्य शिष्य की वारणा - विधि २५. विभिन्न स्थितियों में शिष्य और आचार्य दोनों को प्रायश्चित्त का विधान २६. ज्ञानार्थ उपसंपद्यमान की प्रायश्चित्त-विधि २७. दर्शनार्थ तथा चारित्रार्थ उपसंपद्यान की प्रायश्चित्त - विधि २८. गच्छवासी की प्राघूर्णक द्वारा वैयावृत्य - विधि २६. क्षपक की सेवा न करने से आचार्य को प्रायश्चित्त का विधान ३०. प्रशस्त क्षेत्र में आलोचना देने का विधान ३१. प्रशस्त काल में आलोचना देने का विधान ३२. श्रुतव्यवहारी को आलोचना कराने की विधि ३३. उत्कृष्ट आरोपणा की परिज्ञान विधि ३४. संवेध संख्या जानने का उपाय ३५. अतिक्रम आदि के आधार पर प्रायश्चित्त का विधान ३६. स्थविरकल्प के आचार के आधार पर सूत्र में अभिहित सभी प्रकार के प्रायश्चित्त का विधान ३७. नालिका से कालज्ञान की विधि ३८. चतुर्दशपूर्वी के आधार पर दोषों का एकत्व तथा प्रायश्चित्त दान। ३६. छह मास से अधिक प्रायश्चित्त न देने का विधान ४०. छेद और मूल कब और कैसे ? ४१. संचय, असंचय तथा उद्घात, अनुद्घात की प्रस्थापन विधि ४२. उभयतर पुरुष द्वारा वैयावृत्य न करने पर वही गा . ५५ - ५६ जैन विधि-विधान सम्बन्धी साहित्य का बृहद् इतिहास / 365 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001679
Book TitleJain Vidhi Vidhan Sambandhi Sahitya ka Bruhad Itihas Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith Shajapur
Publication Year2006
Total Pages704
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, Ritual, History, Literature, & Vidhi
File Size11 MB
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