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________________ जैन विधि-विधान सम्बन्धी साहित्य का बृहद् इतिहास/277 तीसरा विकटना द्वार - इस द्वार में गीतार्थ गुरु के समीप भावपूर्वक आलोचना करने का निर्देश है। इसमें कहा गया हैं कि अन्तिम आराधना करने के पूर्व मूलगुण, उत्तरगुण, ज्ञानाचार, दर्शनाचार, चारित्राचार, तपाचर और वीर्याचार में राग-द्वेष वश जो भी अतिचार लगे हों, उनकी आलोचना अवश्य करनी चाहिए। चौथा सम्यक द्वार - इस द्वार में आराधक के लिए शंका-कांक्षादि दोषों से रहित सम्यक्त्व व्रत के पालन का निर्देश किया गया है। पाँचवा अणुव्रत द्वार - इसमें आराधक द्वारा यावज्जीवन के लिए पंच अणुव्रतों के पालन करने का संकल्प किया गया है। छठा गुणव्रत द्वार - इस द्वार में गुणव्रतों का नाम-निर्देश एवं उनको ग्रहण करने की चर्चा है। सातवाँ पापस्थान द्वार - इसमें अठारह पापस्थानों के त्याग का निरूपण है। आठवाँ सागार द्वार - इसमें इष्ट आदि पदार्थों एवं वस्तुओं के त्याग का वर्णन नौवाँ चतुःशरण-गमन द्वार - इस द्वार में आराधक द्वारा अरिहन्त, सिद्ध, साधु और संघ रूप चतुःशरण में जाने का निर्देश है। दसवाँ दुष्कृतगर्दा द्वार - इसमें आराधक द्वारा दुष्कृत की निन्दा करने का वर्णन है। ग्यारहवाँ सुकृतानुमोदना द्वार - इसमें आराधक द्वारा जीवन में किये गये सद्कार्यों की अनुमोदना का स्वरूप विवेचित है। बारहवाँ विषय द्वार - इस द्वार में शब्द, रूप, रस, गन्ध और स्पर्श रूप विषयों के त्याग का वर्णन है। तेरहवाँ संघादि-क्षमापना द्वार - इसमें आराधक के द्वारा संघादि से क्षमायाचना किये जाने का वर्णन है। चौदहवाँ चतुर्गति-जीवक्षमापना द्वार - इस द्वार में यह प्रतिपादित है कि आराधक को चारों गति के जीवों से किस प्रकार क्षमापना करनी चाहिए। पन्द्रहवाँ चैत्य-नमनोत्सर्ग द्वार - इस द्वार में चैत्यवन्दन करने एवं कायोत्सर्ग करने का वर्णन किया गया है। सोलहवाँ अनशन द्वार - इस द्वार में आराधक के द्वारा गुरुवन्दन पूर्वक अनशनव्रत ग्रहण करने की विधि बतायी गई है। सतरहवाँ अनुशिष्टि द्वार - इसमें वेदना पीडित क्षपक के प्रति उपदेश देने का निरूपण है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001679
Book TitleJain Vidhi Vidhan Sambandhi Sahitya ka Bruhad Itihas Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith Shajapur
Publication Year2006
Total Pages704
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, Ritual, History, Literature, & Vidhi
File Size11 MB
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