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________________ जैन विधि-विधान सम्बन्धी साहित्य का बृहद् इतिहास/223 विधि ३. गमनागमन की आलोचना विधि ४. देववन्दन विधि ५. स्वाध्याय विधि ६. रात्रिक सम्बन्धी मुखवस्त्रिका प्रतिलेखन विधि ७. जिनमंदिर दर्शन करने की विधि ८. प्रत्याख्यान पारने की विधि ६. प्रत्याख्यान पारने के बाद चैत्यवंदन करने की विधि १०. वाचना ग्रहण करने की विधि ११. मध्याह्कालीन प्रतिलेखना विधि १२. स्थंडिल भूमि प्रतिलेखन विधि १३. पौषध पारने की विधि १४ स्थापनाचार्य प्रतिलेखना विधि। इनके सिवाय, पौषधव्रत का सम्यक् परिपालन हो-एतदर्थ निम्न विषयों की चर्चा की गई हैं• पौषध के अठारह दोष तथा पाँच अतिचार • सामायिक के बत्तीस दोष तथा पाँच अतिचार सामायिक और पौषध का फल नमस्कारमंत्र एवं प्रतिक्रमण का महान् फल • प्रत्याख्यान, कायोत्सर्ग और ब्रह्मचर्य का फल • वंदन (वांदणा) के २५ आवश्यक और १७ संडाशक, कायोत्सर्ग के उन्नीस दोष आदि निःसन्देह इस कृति का संकलन प्राज्ञ एवं सूक्ष्म दृष्टिकोण से हुआ है। पंचवस्तुक इस ग्रन्थ के प्रणेता आचार्य हरिभद्र है। यह कृति जैन महाराष्ट्री प्राकृत भाषा में निबद्ध हैं। इसमें कुल १७१४ पद्य हैं। इस कृति का रचनाकाल परम्परागत धारणा के अनसार छठी शती का उत्तरार्ध है किन्तु विद्वज्जन आठवीं शती का उत्तरार्ध मानते हैं। इस ग्रन्थ का विषय ग्रन्थ नाम से ही स्पष्ट हो जाता है। पाँच वस्तुओं अर्थात् पाँच क्रियाओं को आधार बनाकर विवेचन करने वाला यह ग्रन्थ पंचवस्तुक है। इसमें वर्णित पाँच वस्तुएँ अत्यन्त मननीय और महत्त्वपूर्ण हैं। मोक्षमार्ग की साधना में चारित्र एक अनिवार्य आवश्यकता है। इस ग्रन्थ में श्रमणजीवन के जन्म (दीक्षा) से लेकर कालधर्म (संलेखना) पर्यन्त की समग्रचर्या का पाँच अधिकारों में विवेचन किया गया है। वस्तुतः यह ग्रन्थ जैन मुनि की आचार विधि से सम्बन्धित है। यह इस विधा का एक आकर ग्रन्थ भी कहा जा सकता है। यह कृति निम्न पाँच अधिकरों में विभक्त है। इन अधिकारों की संक्षिप्त विषयवस्तु इस प्रकार है ' देवचन्द लालभाई जैन पुस्तकोद्धार संस्था ने यह ग्रन्थ स्वोपज्ञ टीका के साथ सन् १९३२ में प्रकाशित किया है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001679
Book TitleJain Vidhi Vidhan Sambandhi Sahitya ka Bruhad Itihas Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith Shajapur
Publication Year2006
Total Pages704
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, Ritual, History, Literature, & Vidhi
File Size11 MB
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