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________________ जैन विधि-विधान सम्बन्धी साहित्य का बृहद् इतिहास/175 पंचमीतपविधि यह तप जैन धर्म की सभी परम्पराओं में प्रचलित एवं मान्य है। ज्ञान का क्षयोपशम करने के लिए इस तप की आराधना प्रायः सभी जन करते हैं। जिनरत्नकोश (पृ. २२६-२२७) में पंचमीतप से सम्बन्धित निम्न कृतियों का उल्लेख हुआ है - १. पंचमीव्रतउद्यापन- यह रचना संस्कृत में भट्टारक सोमसेन की है। २. पंचमीतपग्रहण विधि ३. पंचमीतप पारण विधि ४. पंचमीव्याख्यान- यह अज्ञातकर्तृक है ५. पंचमी पौषध उद्यापन- यह रचना रामकीर्ति के शिष्य मुनि हर्षकीर्ति की है। ६. पंचमी विधान- यह कृति धनपाल ने वि.सं. १४३२ में लिखी है। पौषदशमीमाहात्म्य व विधि प्रस्तुत पुस्तक' हिन्दी गद्य में है। पौषदशमी कथा का हिन्दी भाषान्तर खरतरगच्छीय आनन्दसागरसूरि जी के शिष्य मुनिसागरजी ने किया है। इसमें पौषदशमी की कथा का सुन्दर वर्णन किया गया है। इसके साथ ही पौषदशमीव्रत करने की विधि भी कही गई हैं। अन्त में चौदहपूर्व तपस्या की विधि वर्णित है। बीशस्थानकतप-आराधना-विधि यह पुस्तक मुख्यतः गुजराती गद्य में है। इस कृति का लेखन-संपादन श्री महायशसूरीजी ने किया है। यद्यपि बीशस्थानकतप विधि की अनेक पुस्तकें बाहर आई हैं किन्तु उनमें यह आराधकों की दृष्टि से विशिष्ट स्थान रखती है। इस कृति में निम्नलिखित विवरण उपलब्ध होता है- १. बीशस्थानक तप की महिमा तथा विधि २. बीशस्थानक के बीस पदों का गुणना (जाप) ३. बीशस्थानक तप की आराधना विधि, इस तप में आराधना करने योग्य बीस पदों के नाम इस प्रकार हैं- १. अरिहंतपद २. सिद्धपद ३. आचार्यपद ५. स्थविरपद ६. उपाध्यायपद ७. साधुपद ८. ज्ञानपद ६. दर्शनपद १०. विनय पद ११. चारित्रपद १२. ब्रह्मचर्यपद १३. क्रियापद १४. तपपद १५. गौतमपद १६. जिनपद १७. संयमपद १८. अभिनवज्ञानपद १६. श्रुतपद और २०. तीर्थपद। इसमें इन बीस पदों की आराधना विधि का सविस्तृत विवेचन हुआ है। ४. बीशस्थानक तपाराधना में उपयोगी चैत्यवंन-स्तवन-स्तुति संग्रह ५. बीशस्थानक तप की देववंदन विधि ६. प्रत्याख्यान पारने की विधि ७. बीशस्थानक तप की पूर्णाहूति निमित्ते उद्यापन विधि ' यह कृति वी.सं. २४५३ में जैनबंधु ग्रन्थमाला इन्दौर से प्रकाशित हुई हैं। यह कृति श्री लाघुभाई चत्रभुज भणसाली, जामनगर वालों ने वि.सं. २०५४ में प्रकाशित की Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001679
Book TitleJain Vidhi Vidhan Sambandhi Sahitya ka Bruhad Itihas Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith Shajapur
Publication Year2006
Total Pages704
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, Ritual, History, Literature, & Vidhi
File Size11 MB
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