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जैन धर्म में आराधना का स्वरूप / 159
फेंके। ऐसा करने के पश्चात् वहाँ से जो आवाज (शब्द) सुनाई देती है, उसे उपश्रुति कहते हैं।"289 वे शब्द दो प्रकार के होते हैं, प्रथम- अर्थान्तरोप्रदेश्य एवं दूसरा- स्वरूप-उपश्रुति। इस प्रथम उपश्रुति में अर्थ का निर्धारण, कल्पना अथवा विचार के द्वारा किया जाता है। द्वितीय उपश्रुति में जैसा शब्द सुनें, वैसा ही अर्थ धारण करना, अर्थात् शब्द स्पष्ट अर्थ को प्रकट करने वाला होता है।
जैसे- इस घर का स्तम्भ पाँच दिन के पश्चात्, अथवा छ: मास या सात वर्ष के बाद निश्चय से टूट जाएगा, अथवा नहीं टूटेगा। यह दीपक लम्बे समय तक जलता रहेगा, अथवा टकराने से शीघ्र नष्ट हो जाएगा। इस तरह पदार्थ सम्बन्धी शब्द को सुनकर इनसे अपनी आयुष्य का अनुमान लगा लेना चाहिए। यदि पीठिका, दीपक की शिखा, आदि स्त्रीलिंग पदार्थ से सम्बन्धित शब्दों का श्रवण हो, तो स्त्री के आयुष्य का अन्दाज लगाना चाहिए।290 इस तरह यह प्रथम उपश्रुति के द्वारा ज्ञान हुआ। द्वितीय स्वरूप-उपश्रुति का वर्णन करते हुए कहा गया है- “जिस प्रकार ये स्त्री-पुरुष इस स्थान से जाएंगे, अथवा नहीं जाएंगे। हम उन्हें जाने नहीं देंगे तथा वे भी जाने की इच्छा नहीं करते हैं अथवा उन्हें जाने की इच्छा है और मैं भी उनको भेजना चाहता हूँ, इसलिए वे अब जल्दी यहाँ से जाएंगे, अर्थात् रोकने पर भी नहीं रुकेंगें। वह आज, कल या परसों चला जाएगा।7291 इस तरह यह दूसरे प्रकार की स्वरूप-उपश्रुति कही गई है।
अन्त में उपश्रुति का अर्थ बताते हुए कहा गया है - "यदि जाने के शब्द सुनाई दें, तो उस व्यक्ति की मृत्यु निकट है और यदि रुकने के शब्द श्रवण होते हों, तो मृत्यु अभी नजदीक नहीं है - ऐसा समझना चाहिए। इस तरह दो प्रकार के शब्दों को अच्छी तरह श्रवण करके, फिर उनके अनुरूप उचित अर्थ लगाकर व्यक्ति को कार्य में संलग्न होना चाहिए।1292 इस प्रकार उपश्रुति के द्वारा कुशल पुरुष अपनी आयुष्य का प्रमाण निकाल लेता है तथा उन शब्दों के माध्यम से अपनी मृत्यु निकट है, अथवा दूर है, ऐसा निर्णय कर लेता है। उपश्रुति से आयुष्य का ज्ञान प्राप्त करने के सम्बन्ध में संवेगरंगशाला में जो विवेचन मिलता है, वही विवेचन योगशास्त्र293 के पाँचवें प्रकाश में भी मिलता है। इससे निश्चित
विगरंगशाला, गाथा ३०८८-३०६४. संवेगरंगशाला, गाथा ३०६८.
संवेगरंगशाला, गाथा ३०६६-३१०२. 292 संवेगरंगशाला, गाथा ३१०३-३१०५.
योगशास्त्र गाथा, पंचमप्रकाश, १८५-१६६.
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