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________________ द्वितीय अध्याय जीवतत्त्व [Conscious soul] ____ आज के इस वैज्ञानिक युग में बुद्धिजीवी मानव अपने को शक्ति सम्पन्न बनाने का सतत् प्रयास कर रहा है। किन्तु उसका मन आध्यात्मिक मूल्यों की रिक्तता (Vacuum) के कारण अशांति से ग्रसित है। विज्ञान से शक्तिप्राप्त होती है लेकिन मनःशान्ति नष्ट होती है। वैज्ञानिक आविष्कारों से मानव अवश्य ही शक्तिशाली बना है लेकिन वह अपना मानसिक स्वास्थ्य भी खो बैठा है। जिन्होंने धर्म को स्वीकार किया उन्हें शान्ति का लाभ तो हुआ, परन्तु वे अन्यों की तुलना में शक्तिहीन सिद्ध हुए। जो राष्ट्र शक्ति और शान्ति दोनों को प्राप्त करना चाहता है, उसे विज्ञान और तत्त्वविज्ञान दोनों को स्वीकार करना होगा क्योंकि इनमें से एक के अभाव में मानव की आत्मशान्ति और राष्ट्र की शक्ति अपूर्ण रहेगी। शान्तिरहित शक्ति क्रुरता और संहारकर्ता का रूप धारण करती है। विज्ञान ने मानव को ज्ञान (Knowledge) दिया यह सत्य है, परन्तु मनुष्य धर्म के अभाव में विवेकशून्य हुआ और बाद में विवेकरहित ज्ञान से अणुबम और उद्जन बम का निर्माण करके उसी ने मानवीय संस्कृति पर कुठाराघात किए। इसका सारा दोष विज्ञान के माथे पर थोपा गया। ज्ञान के साथ विवेक की अनिवार्यता वह भूल गया इसलिए शक्ति बढ़ गई, परन्तु शान्ति नष्ट हो गई। शांति के लिए विज्ञान और तत्त्वज्ञान के समन्वय की अतीव आवश्यकता है। इसीलिए मैंने अपने शोध-प्रबंध का विषय “जैन-दर्शन के नव तत्त्व" चुना है। . जैन-दर्शन के अनुसार विश्वव्यवस्था को समझने के लिए षट् द्रव्यों का ज्ञान आवश्यक है, परन्तु विशेष आत्मज्ञान के लए तथा सब दुःखों से मुक्त होने के लिए नवतत्त्वों का वास्तविक ज्ञान अत्यंत आवश्यक है। जैन-दर्शन के अनुसार छः द्रव्यों से ही इस पूरे विश्व की रचना हुई है। जैन-दर्शन के वे छः द्रव्य निम्नलिखित हैं :(१) जीव (२) पुद्गल (३) धर्म (४) अधर्म (५) आकाश (६) काल।' इनमें से जीव द्रव्य का विवेचन जीवतत्त्व में होगा और बाकी पाँच द्रव्यों का विवेचन अजीवतत्त्व में होगा। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001676
Book TitleJain Darshan ke Navtattva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDharmashilashreeji
PublisherPrachya Vidyapith Shajapur
Publication Year2000
Total Pages482
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Religion, & Philosophy
File Size11 MB
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